विश्व संस्कृति की जननी है- भारतीय संस्कृति: राज्यपाल
जयपुर, 31 अगस्त (हि.स.)। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने रविवार को एक निजी होटल में संस्कृति संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली प्रतिभाओं को ''राजस्थान गौरव'' पुरस्कार से सम्मानित किया। इस दौरान उन्होंने
विश्व संस्कृति की जननी है—भारतीय संस्कृति: राज्यपाल


जयपुर, 31 अगस्त (हि.स.)। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने रविवार को एक निजी होटल में संस्कृति संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली प्रतिभाओं को 'राजस्थान गौरव' पुरस्कार से सम्मानित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह भारतीय संस्कृति है कि अच्छा कार्य करने वालों को पुरस्कृत किया जाए।

राज्यपाल बागडे ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट सेवा करने वाली प्रतिभाओं का अभिनंदन करते हुए कहा कि जिस समाज में प्रतिभाओं का सम्मान होता है, वही तेजी से विकास करता है। इससे समाज में सकारात्मक कार्यों को करने के लिए वृहद स्तर पर वातावरण बनता है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व संस्कृति की जननी है। जीवन जीने की कला हो या विज्ञान या फिर राजनीति का क्षेत्र, भारतीय संस्कृति के मूल्य विश्व भर को निरंतर प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे यहां व्यष्टि नहीं समष्टि के कल्याण की सोच है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की यही दृष्टि हमारी संस्कृति है।

राज्यपाल ने कहा कि संस्कृति का अर्थ ही होता है—निरंतर जो परिवर्तन को लेकर चले। हर समय जिसमें परिवर्तन और नया कुछ ग्रहण करने की क्षमता बनी रहे, वही संस्कृति है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में नए परिवर्तनों को साथ लेकर चलने की क्षमता है। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे सामाजिक परिवर्तन के संवाहक बनें। उन्होने सभी को जीवन में संतुलन और परस्पर समन्वय रखते हुए कार्य करने का आह्वान किया।

इससे पहले राज्यपाल बागडे का संस्कृति संस्था के अध्यक्ष पंडित सुरेश मिश्रा ने स्वागत करते हुए संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों और सम्मानित प्रतिभाओं के बारे में बताया। संस्था के संरक्षक एच.सी. गणेशिया और डॉ. गोविन्द पारीक ने भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्य पर अपने विचार रखे।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश