प्लास्टिक पॉल्यूशन: जयपुर में रोजाना निकल रहा 280 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा
जयपुर, 31 अगस्त (हि.स.)। राज्य सरकार ने प्रदेश में पॉलिथिन कैरी बैग पर बैन लगा रखा है, इसके बावजूद प्लास्टिक कचरा जयपुर के पर्यावरण के लिए खतरा बन रहा है। शहर में हर रोज करीबन 1400 मीट्रिक टन कचरा निकल रहा है, इसमें से लगभग 15 फीसदी कचरा प्लास्टिक के
कचरा


जयपुर, 31 अगस्त (हि.स.)। राज्य सरकार ने प्रदेश में पॉलिथिन कैरी बैग पर बैन लगा रखा है, इसके बावजूद प्लास्टिक कचरा जयपुर के पर्यावरण के लिए खतरा बन रहा है। शहर में हर रोज करीबन 1400 मीट्रिक टन कचरा निकल रहा है, इसमें से लगभग 15 फीसदी कचरा प्लास्टिक के रूप में होता है। नगर निगम की ओर से प्लास्टिक कैरी बैग के खिलाफ कार्रवाई के तमाम दावों के बीच शहर में पॉलिथिन का उपयोग बढ़ रहा है।

गौरतलब है कि राजस्थान में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर 1 अगस्त, 2010 से पूर्ण रूप से रोक लगी थी। इसके लिए बनाए नियमों के तहत अगर किसी व्यक्ति को इसका उपयोग करते पकड़ा गया तो उस पर 5 साल की सजा और 1 लंाख रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। जानकारी के अनुसार जयपुर शहर के घरों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों, होटल्स और थड़ी—ठेला से रोजाना 1400 टन मीट्रिक टन कचरा निकल रहा है। इसमें से 60 फीसदी कचरा गीला (वैट) और 40 प्रतिशत कचरा सूखा (ड्राइ) होता है। शहर में जो सूखा कचरा उत्पादित होता है उसका करीबन आधा हिस्सा प्लास्टिक कचरे के रूप में होता है। शहर में उत्पादित होने वाले 1400 मीट्रिक टन कचरे में से 800 टन के लगभग गीला कचरा होता है। कुल उत्पादित कचरे में सूखे कचरा करीबन 600 मीट्रिक टन होता है। इस सूखे कचरे में से करीब 280 मीट्रिक टन कचरा प्लास्टिक के रूप में होता है। शहर से लगातार बड़ी मात्रा में निकल रहे कचरे के ढेर में प्लास्टिक की मात्रा ज्यादा होने से शहर की सड़कों के किनारे प्लास्टिक बिखरा रहता है।

कचरा परिवहन वाहनों से भी प्लास्टिक कचरा उड़ता रहता है। प्लास्टिक कचरे के कई रूप जयपुर में कई तरह से प्लास्टिक कचरा उत्पादित हो रहा है। शहर में धड़ल्ले से प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग हो रहा है। साथ ही होटल्स, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशनों पर बड़ी मात्रा में बोतल बंद पानी बिकता है। रोजाना हजारों की संख्या में बोतल बंद पानी की प्लास्टिक बोतलें कचरे में जाती है। इसी तरह चाय- कॉफी शॉप्स और थड़ी- ठेलों पर डिस्पोजेबल कप- गिलास और प्लेट के रूप में प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। वहीं, शादी विवाह में भी डिस्पोजेबल आइटम का चलन बढऩे से बड़ी मात्रा में प्लास्टिक कचरा निकलता है। शहर में कुल निकलने वाले प्लास्टिक कचरे में से करीब 5 प्रतिशत प्लास्टिक कचरा वन टाइम यूज्ड होता है, जबकि 10 फीसदी के लगभग रिसाइकिल्ड प्लास्टिक होता है। कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति गौरतलब है कि राजस्थान में 20 माइक्रोन से कम मोटाई वाले पॉलिथिन कैरी बैग के उपयोग पर प्रतिबंध लगा हुआ है। प्रतिबंधित कैरी बैग के इस्तेमाल पर आर्थिक दण्ड और जेल की सजा का प्रावधान है। प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग रोकने के लिए नगर निगम प्रशासन समय- समय पर कार्रवाई करता है। लेकिन हकीकत में नगर निगम की कार्रवाई खानापूर्ति होती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / राजेश