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सोशल मीडिया पर महिलाओं के अश्लील नृत्य को लेकर संत समाज ने जताई चिंता
वाराणसी, 03 अगस्त (हि.स.)। भारतीय नारी अनादि काल से ही स्वतंत्र रही है, परंतु स्वच्छंदता कभी भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं रही। आधुनिक दौर में महिलाओं के सोशल मीडिया पर अशोभनीय आचरण को लेकर काशी में संत समाज ने चिंता जताई है।
अस्सी स्थित मारवाड़ी सेवा संघ में आयोजित पत्रकार वार्ता में भागवत भूषण डॉ. पुंडरीक शास्त्री ने रविवार को कहा कि भारतीय नारी सनातन संस्कृति की पहचान है। वह पूजनीय है, समाज की आधारशिला है और देवी स्वरूपा मानी जाती है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि हमारी नारियों को स्वतंत्र रहने का अधिकार है, लेकिन स्वच्छंदता भारतीय मूल्यों के विरुद्ध है।
डॉ. पुंडरीक शास्त्री ने कहा कि बीते कुछ वर्षों में पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव बढ़ने से हमारी सांस्कृतिक जड़ें प्रभावित हो रही हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर महिलाओं के अश्लील नृत्य और अनावश्यक अंग प्रदर्शन पर चिंता जताई। उन्हाेंने कहा कि यह प्रवृत्ति सनातन समाज व संस्कृति दोनों के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने संत प्रेमानंद, साध्वी ऋतंभरा और कथावाचक अनिरुद्धाचार्य द्वारा युवतियों को लेकर दिए गए बयानों का समर्थन करते हुए कहा कि वर्तमान में जो दृश्य सोशल मीडिया पर देखने को मिल रहे हैं, वे सनातन मूल्यों को चोट पहुंचा रहे हैं।
इस अवसर पर मुमुक्षु भवन, अस्सी में काशीवास कर रहे दंडी सन्यासी श्री श्रीमन नारायण आश्रम ने भी कहा कि भारतीय नारी सनातन संस्कृति की पहचान है। धर्म एवं आस्था की केंद्र बिन्दु है। संत समाज ने एक स्वर में अपील की कि महिलाएं अपनी गरिमा बनाए रखें। वार्ता में राव राजपूत महासभा के अखिल भारतीय अध्यक्ष राव प्रहलाद सिंह भी मौजूद रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी