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देश भर की लड़कियों को पहले फेज में तीन हजार से अधिक भेजे गए पोस्टकार्ड
रोहतक, 3 अगस्त (हि.स.)। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) के यूनिवर्सिटी आउटरीच प्रोग्राम में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस और सामाजिक सुधारक सुनील जागलान, जो अपनी ‘गाली बंद घर अभियान’ के लिए विख्यात हैं, ने इस बार रक्षाबंधन को एक सार्थक संदेश के साथ मनाने के लिए एक विशेष पहल शुरू की है। इस अभियान के तहत सुनील जागलान ने देश भर की लड़कियों को पहले फेज में तीन से अधिक पोस्टकार्ड भेजे हैं, जिसकी पहल एमडीयू के कन्या छात्रावास परिसर से हुई।
पोस्टकार्ड में बहनों से आग्रह किया गया है कि वे इस रक्षाबंधन पर अपने भाइयों से एक अनोखा वचन लें, दैनिक जीवन में मॉं बहन बेटी की गाली-गलौज और अपमानजनक भाषा का उपयोग न करने का संकल्प लें। एमडीयू कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने सुनील जागलान की इस अभियान की सराहना करते हुए कहा कि यह समाज में सकारात्मक बदलाव का सार्थक प्रयास है। उन्होंने कहा कि यह अभियान न केवल रक्षाबंधन के पर्व को एक नया अर्थ दे रहा है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव की एक मजबूत नींव भी रख रहा है। आइए, इस रक्षाबंधन पर हम सभी सम्मानजनक भाषा के लिए संकल्प लें और एक बेहतर समाज की ओर कदम बढ़ाएं। चीफ वार्डन गर्ल्स प्रो. सपना गर्ग ने कहा कि यूनिवर्सिटी आउटरीच प्रोग्राम के प्रोफेसर आफ प्रैक्टिस सुनील जागलान छात्राओं को इस पहल के जरिए उनके सामाजिक सरोकारों से जोड़ रहे हैं, जो काबिले तारीफ है। इस अवसर पर वार्डन राजबाला सांगवान समेत छात्रावास की छात्राएं इस पहल में शामिल हुई।
जागलान ने बताया कि उनकी ‘गाली बंद घर अभियान’ के तहत 11 वर्षों की गहन सर्वेक्षण के नतीजे हाल ही में जारी किए गए हैं। इस सर्वेक्षण में देशभर के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 70 हजार से अधिक लोगों को शामिल किया गया, जिसमें छात्र, अभिभावक, शिक्षक, डॉक्टर, पुलिसकर्मी, वकील और अन्य पेशेवर शामिल थे। सर्वे के अनुसार, भारत में लगभग 55ः पुरुष और महिलाएं अपनी रोजमर्रा की बातचीत में अपशब्दों का उपयोग करते हैं। दिल्ली में यह आंकड़ा सबसे अधिक 80ः है, इसके बाद पंजाब, जबकि कश्मीर में सबसे कम 15ः दर्ज किया गया।
सर्वे में उत्तर प्रदेश में 11,300, मध्य प्रदेश में 8,400, राजस्थान में 6,100, पंजाब में 4,200, महाराष्ट्र में 3,800 और दिल्ली, गुजरात, बिहार, कश्मीर, उत्तराखंड, गोवा और पश्चिम बंगाल में अन्य मामले सामने आए। उन्होंने कहा कि अपशब्दों का उपयोग एक सामाजिक बुराई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल