तेंदुए का हुआ अंत, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस।
डीएम की मौजूदगी में तेंदुए को ले जाते हुए


मुसाफिरखाना का भले सुल्तान शौर्य वनस्थली


मृतक तेंदुए की फोटो


अमेठी, 3 अगस्त (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के मुसाफिरखाना तहसील क्षेत्र अंतर्गत नेवादा ग्राम सभा के दो गांवों में शनिवार की दोपहर से जंगली तेंदुए का आतंक देखने को मिल रहा था। तेंदुए के हमले से लगभग आधा दर्जन लोग घायल हो चुके थे। जिसको पकड़ने के लिए वन विभाग पुलिस विभाग के साथ-साथ पीएसी की भी टीम लगाई गई थी। देर रात्रि भैंसों के हमले से तेंदुए की मौत हो गई। इसके बाद से ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।

अमेठी के जिलाधिकारी संजय चौहान ने बताया कि कल दिन में 10 बजे के करीब यह सूचना प्राप्त हुई थी कि किसी जंगली जानवर के द्वारा ग्रामीण पर अटैक किया गया है। इस सूचना के सत्यापन और आवश्यक कार्यवाही हेतु एसडीएम मुसाफिरखाना को मेरे द्वारा निर्देशित किया गया था। वन विभाग और एसडीएम की टीम जब मुसाफिरखाना पहुंची तब वहां पर जांच और जानकारी के बाद यह स्पष्ट हुआ की जंगली जानवर तेंदुआ है। तेंदुआ गांव में होने के कारण ग्रामीणों में डर और दहशत थी। इसका रेस्क्यू करने के लिए पूरी टीम मौके पर लगाई गई। तेंदुआ पकड़ने के लिए एक्सपर्ट टीम को लखनऊ और बहराइच से बुलाने के लिए मेरे द्वारा संबंधित अधिकारियों से बात की गई। वन विभाग की टीम के द्वारा इसको पकड़ने का प्रयास किया गया था लेकिन वह छूकर पास के जंगलों में चला गया था।

रविवार को सुबह 5:30 बजे के करीब यह सूचना प्राप्त हुई की भैंसों के तबेले में इस तेंदुए के द्वारा हमला किया गया था। इस हमले में तेंदुए की मौत हो गई। वन विभाग की टीम लखनऊ से बुलाई गई है और स्थानीय वेटरनरी की टीम भी मौके पर मौजूद है। इसका पोस्टमार्टम होने के बाद यह स्पष्ट हो सकेगा कि इसकी मृत्यु का कारण क्या है। यह क्यों आदमखोर हो गया था। क्योंकि यही के जंगली इलाके में यह लगभग 15 वर्षों से रह रहा था लेकिन कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया था। प्रथम दृष्टया इसके सर पर एक घाव है और सूजन भी है इससे यह पता चलता है कि सिर पर चोट लगने के कारण शिकार नहीं कर पा रहा था और यह आबादी क्षेत्र में चला गया था। तेंदुए को पोस्टमार्टम के बाद भले सुल्तान शौर्य वनस्थली कादूनाला में इसका अंतिम संस्कार किया जाएगा। यहीं पर एक था बहादुर नाम से स्मारक की आधारशिला भी रखी जाएगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / लोकेश त्रिपाठी