प्रोजेक्ट मिलन की बड़ी सफलता: एक छत के नीचे लौटे छह बिछड़े दंपती
महिला परिवार परामर्श केंद्र में काउंसलिंग करती पुलिस अधिकारी एवं सदस्य।


— काउंसलिंग ने खोले रिश्तों के बंद दरवाज़े, आंखें भीगीं, दिल जुड़े

मीरजापुर, 3 अगस्त (हि.स.)। रविवार का दिन मीरजापुर के महिला परिवार परामर्श केंद्र में सिर्फ फाइलों और काउंसलिंग की औपचारिकताओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह दिन रिश्तों की दरारों को पाटकर छह परिवारों को फिर से एकजुट करने का गवाह बन गया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सोमेंद्र बर्मा के निर्देशन में चलाए जा रहे ‘प्रोजेक्ट मिलन’ ने अपने नाम को सार्थक कर दिखाया।

जनपद के अलग-अलग थाना क्षेत्रों से आए छह विवाहित जोड़े, जो विभिन्न कारणों से लंबे समय से अलग-अलग जीवन जी रहे थे, रविवार को परिवार परामर्श केंद्र की पेशेवर और मानवीय काउंसलिंग के बाद फिर एक-दूसरे का हाथ थामने को राजी हो गए। कभी नज़रों से नज़रें नहीं मिला रहे ये दंपती, बातचीत के बाद न सिर्फ मुस्कराते नजर आए, बल्कि 'नई शुरुआत' के वादे के साथ घर लौटे।

पर्दे के पीछे रही यह टीम

इस कामयाबी के पीछे जो टीम रही उसने न सिर्फ धैर्य, संवेदना और समझदारी दिखाई, बल्कि हिम्मत भी बखूबी दी। महिला उपनिरीक्षक रीता यादव, महिला मुख्य आरक्षी ममता तिवारी, सावित्री यादव, परामर्शदाता डॉ. कृष्णा सिंह, सुरेश चंद्र और ओपी सुनीता देवी की टीम ने रिश्तों की उलझनों को धागे-धागे सुलझाया।

काउंसलिंग का असर

जानकारों के मुताबिक, कई दंपतियों के बीच गलतफहमी, गुस्सा, परिवारिक दबाव, या संवाद की कमी जैसी बातें दूरी का कारण बनी थीं। लेकिन जब दोनों पक्षों को खुले मन से अपनी बात रखने का मौका मिला, तो वे एक-दूसरे की पीड़ा को समझ सके। नतीजा—कई जोड़े गले मिले, कुछ की आंखें भर आईं और एक नये सिरे से जीवन की शुरुआत का वादा किया।

हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा