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-आधुनिक एवं पुरातन गुरु परम्परा विषय पर साहित्यकारों ने की चर्चा
-अखिल भारतीय साहित्य परिषद गुरुग्राम इकाई ने किया आयोजन
गुरुग्राम, 3 अगस्त (हि.स.)। अखिल भारतीय साहित्य परिषद गुरुग्राम इकाई द्वारा मालिबु टाउन सेक्टर-47 के सभागार में रविवार को आधुनिक एवं पुरातन गुरु परम्परा विषयक एक परिचर्चा की गई। हरियाणा साहित्य अकादमी की पूर्व निदेशिका डॉ. मुक्ता ने मुख्य अतिथि एवं सुपरिचित साहित्यकार मदन साहनी ने अध्यक्ष के रूप में अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज की।
प्रख्यात चिंतक विचारक प्रो. सारस्वत मोहन मनीषी, इकाई अध्यक्ष विधु कालरा, प्रांतीय कोषाध्यक्ष हरींद्र यादव ने मंच को सुशोभित किया। अतिथि गण द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं वीणा अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से विधिवत कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। इकाई उपाध्यक्ष डॉ. मीनाक्षी पांडे ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी ने गूगल को गुरु मान लिया है। सारस्वत मोहन मनीषी ने दोहे के माध्यम से संक्षिप्त रूप से विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कम बोलो ज्यादा सुनो बढे शांति मुस्कान, तभी दाता ने दिया एक जीभ और दो कान। डॉ. मुक्ता ने कहा कि हम अजनबीपन का अहसास लिए अपने-अपने द्वीप में कैद हैं। क्योंकि समन्वय और सामंजस्य का अभाव है। मदन साहनी ने अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए कहा गुरु शिष्य को राह न दिखाये, बल्कि उसके मार्ग में कुछ दीप जला दें जिससे कि वो अपना मार्ग खुद चुन सके। गुरु परंपरा शाश्वत सनातन परंपरा है। जिसका भी विकास होता है वो जड़ से दूर होता है। भरपूर विकास के बाद पुन: जड़ की तरफ लौटता है। इकाई अध्यक्ष विधु कालरा ने कहा कि गुरु व्यक्ति विशेष नहीं बल्कि एक तत्व है। गुरु ब्रह्म, विष्णु, महेश है, क्योकि गुरु सृजन भी करता है। पालन भी करता है, संहार भी करता है।
शकुंतला मित्तल ने कहा कि आज विद्यार्थी के लिए ज्ञान उतना महत्वपूर्ण नहीं, जितना अंक अर्जन या किताबी ज्ञान। इसके लिए सुविधायुक्त वातावरण, हमारी सोच जिम्मेदार है। सविता स्याल ने कहा कि आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे तकनीकों का उपयोग करके शिष्य, शिक्षक से दूर हो रहा है। डॉ. जगदम्बे वर्मा ने शिष्यों के प्रति आत्मीय भाव रखने के लिए प्रेरित किया। हरींद्र यादव ने कहा शिक्षक शिक्षा देता है। गुरु ज्ञान देता है। उन्होंने कथाओं द्वारा पुरातन गुरु परम्परा की महिमा का बखान किया। दीपशिखा श्रीवास्तव ने कहा पुरातन गुरु का उद्देश्य शिष्य का आध्यत्मिक व चारित्रिक विकास करना था, जबकि आधुनिक शिक्षा का उद्देश्य अधिकाधिक अर्थ उपार्जन है। बरखा यादव ने कथा द्वारा गुरु के महत्व को बताया। मोनिका शर्मा ने कहा आज के परिवेश में शिक्षक दायित्व से विमुख हो गया है।
हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर