प्रयागराज में उफान पर हैं गंगा—यमुना, खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं दोनों नदियां
प्रयागराज में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करते हुए उप्र सरकार के मंत्री नन्द गोपाल नंदी गुप्ता का छाया चित्र


मंत्री नंदी ने किया बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण, जिम्मेदार अधिकारियों को दिया जरूरी निर्देश

प्रयागराज,03 अगस्त(हि.स.)। विश्व प्रसिद्ध प्रयागराज में गंगा—यमुना नदियां उफान पर है। दोनों नदियां खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं,जलस्तर की वृद्धि जारी है। बाढ़ का पानी घरों में जाने की वजह से लोग घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए है। बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन कर रही हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री नन्द गोपाल नन्दी गुप्ता ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों दौरा किया। इसके साथ शिविरों में रुके लोगों के भोजन एवं स्वास्थ्य व्यवस्था की जमीनी हकीकत काे जाना।

उपजिलाधिकारी सदर अभिषेक सिंह ने बताया कि बाढ़ राहत शिविर चालू है। लोगों को भोजन के लंच पैकेट सहित अन्य सामान लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। बाढ़ में फंसे हुए लोगों को एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें बोट के माध्यम से रेस्क्यू करके बाढ़ पीड़ितों को बाहर निकाला जा रहा है।

प्रयागराज में पतित पावनी मां गंगा एवं यमुना का रौद्र रूप दिखाई दे रहा है। शाम चार बजे तक यमुना नदी नैनी के पास 85.78 मीटर पर बह रही है और केन एवं बेतवा का पानी आने की वजह से खतरे का निशान पार कर चुकी है। हर चार घंटे पर जल स्तर बढ़ता ही जा रहा है। गंगा के फाफामऊ घाट पर 85.77 मीटर पर जल स्तर है। रविवार को दिन में लगभग 12 सेंटर जलस्तर बढ़ गया है। इसी तरह प्रयागराज से वाराणसी की ओर मां गंगा का जलस्तर 85.05 मीटर पर है। यहां भी लगभग 12 सेंटीमीटर जलस्तर बढ़ गया है। जबकि बक्सी बाध एसटीपी के समीप 85.69 मीटर पर जल स्तर पहुंच गया है। यहां लगभग 11 सेन्टी मीटर जलस्तर बढ़ गया है।

गंगा और यमुना क़ा पानी हर घंटे तेज़ी से बढ़ रहा हैं, हालात अब ये हैं क़ि प्रयागराज में गंगा और यमुना दोनों ही नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिसकी वजह से ग्रामीण इलाकों मे भी हालात ख़राब हो रहे हैं गांव का सम्पर्क मार्ग पूरी तरह डूबा है लोग नाव से आ जा रहे हैं । ग्रामीण इलाकों मे भी बाड़ राहत कैम्प चलाये गए हैं जिसमें लोग आसरा लिए हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / रामबहादुर पाल