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गोरखपुर, 03 अगस्त (हि.स.)। लोक कला का जीवन से गहरा जुड़ाव होता है। लोक कला और जीवन एक दूसरे से इतनी घुले मिले होते हैं कि उनको अलग करना मुश्किल होता है। लोक की चेतना अनिवार्य रूप से सत्ता का प्रतिपक्ष रखती है। वह सत्ता चाहे समाज की हो, धर्म की या राज्य की हो जीवन को बाधित करने वाली सभी शक्तियों को लोक कला बहुत गहरे स्तर पर चुनौती देती है।
उक्त बातें उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी के अध्यक्ष प्रोफेसर सुनील विश्वकर्मा ने कही वह शनिवार को विजय चौक स्थित होटल ब्लैक हॉर्स के सभागार में पुरवाई कला गोरखपुर के तत्वावधान में नमन राजीव 2025 के तहत भारतीय लोक कलाओ के विस्तार में पूर्वांचल का योगदान विषय पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि यह अवसर लोक कला के प्रतीकों और उसके संदेशों को बहुत सतर्क निकाह से देखना और व्याख्यायित करना होता है। चित्रकला हमारी अभिव्यक्ति का सबसे पुराना मध्यम है। वह तब से है जब भाषा का विकास नहीं हुआ था। संकेत और चित्रों के सहारे ही मनुष्य अपनी अभिव्यक्ति और विचारों का आदान-प्रदान करता था। डॉ राजीव केतन के चित्रों में जहां एक ओर लोक है वहीं दूसरी ओर आधुनिकता की भी झलक दिखाई पड़ती है।
मुख्य वक्ता आगरा कॉलेज आगरा की चित्रकला विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर मीना कुमारी ने कहा कि लोक शब्द दरअसल अपनी सुदीर्घ यात्रा में अनेकार्थ एवं बहुआयामी ही नहीं परिवर्तनशील भी हो गया है। लोक स्वरूप भी निरंतर बदलने वाला रहा है। इसलिए इसका प्रयोग सीमित और व्यापक दोनों अर्थों में हो रहा है। लोग जीवन, लोक कला, लोक संगीत, लोकगाथा, लोककथा एवं लोक संस्कृति आदि में लोक का प्रयोग तो खूब होता है। आज के समय में अधिक प्रयोग करते रहने से वह घिस गया है और उसका मुल्लमा भी उतर गया है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ललित कला एवं संगीत विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर उषा सिंह ने कहा कि यहां लगे मूर्तियों को देखने से लगता है की हमारी कलाएं कितनी समृद्ध हैं। डाॅ राजीव केतन का लोक कला से गहरा लगाव था। पुरवाई कला अपनी लोक संस्कृति को आम जन पहुंचाने का जो जिम्मा उठाया है उसके लिए पूरी टीम को साधुवाद। इसके पूर्व समस्त अतिथियों का स्वागत महामंत्री प्रेमनाथ ने, विषय परिवर्तन संस्था के अध्यक्ष ममता केतन ने तथा आभार ज्ञापन कोषाध्यक्ष हृदया त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर रितेश मिश्रा, डॉ हर्षवर्धन राय, मनोज श्रीवास्तव, शबनम, विनोद, सुनील, अंकिता, विनीता श्रीवास्तव, शिवेंद्र पांडे, प्रवीण, सुभाष दुबे जितेंद्र श्रीवास्तव, डॉ भारत भूषण, भास्कर विश्वकर्मा आदि उपस्थित रहे।
--पुरवाई सम्मान से नवाजे गई प्रो. मीना कुमारी व महेश वर्मा
प्रत्येक वर्ष पुरवाई कला सम्मान देश भर से चुने हुए वरिष्ठ और युवा कलाकार को प्रदान किया जाता है इस वर्ष यह सम्मान आगरा कॉलेज के चित्रकला विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर मीना कुमार को वरिष्ठ कलाकार के रूप में तथा महेश कुमार वर्मा मूर्तिकार को युवा कलाकार के रूप में सम्मानित किया गया। इसी क्रम में शहर के दो वरिष्ठ फोटोग्राफर पंकज श्रीवास्तव एवं अनवर अली को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
--भावांजलि
भावांजलि के तहत डॉ राजीव केतन के साथ लम्बे समय तक कार्य करने वाले शहर के वरिष्ठ पत्रकारों ने उन्हें अपनी भावांजलि प्रस्तुत की और उनके साथ बिताए पलों को याद किया। भावांजलि समर्पित करने वालों में सदर विधायक देवरिया के डाॅ. शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि इस सभागार में बैठे लोगों में से सबसे लम्बे सफर का साथी रहा हूं । केतन सिर्फ फोटोग्राफर ही नहीं थे वो एक थिंक टैंकर थे। जब वो निकलते थे कुछ न कुछ अनोखी तस्वीर को अपने कैमरे में कैद करते रहते थे। एक अच्छा साथी हम सभी ने खो दिया है। पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सतीश द्विवेदी विश्वविद्यालय के समय एक दूसरे के साथ खूब काम करने का अवसर लगा आज उन्हें याद करके काफी द्रवित हैं। इनके अलावा जगदीश लाल, डॉक्टर अरविंद राय, नितिन जायसवाल, विनीता गुप्ता ने अनुभवों को साझा किया।
--भजनों की बही बयार
नमन राजीव के तहत तीसरे सत्र में गोरखपुर के आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के वरिष्ठ कलाकारों ने उन्हें स्वरांजली समर्पित किया। संचालक रीता श्रीवास्तव सर्वप्रथम नंदू मिश्रा को मंच पर आमंत्रित किया। उन्होंने मां दुर्गा के भजनों को प्रस्तुत किया तो सभागार मंत्रमुग्ध हो उठा। इसी क्रम में महाराजगंज से आए भजन गायक व संगीत नाटक अकादमी के सदस्य अमित अंजन, प्रतिमा श्रीवास्तव, सारिका श्रीवास्तव, राकेश उपाध्याय, अमित भट्ट, डॉ अमरचंद श्रीवास्तव एवं स्वर मानस भारती के अगुवा राजेश श्रीवास्तव ने भजनों की प्रस्तुति कर सभी को भाव विह्वल कर दिया। संगतकार के रूप में तबले पर पंडित त्रिपुरारी मिश्रा आर्गन पर दीपक श्रीवास्तव और ऑक्टोपैड पर अरुण पांडे थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय