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लखनऊ,03 अगस्त (हि.स.)। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान ने रविवार को अपने तीसरे भारतीय अंगदान दिवस का आयोजन किया। इस अवसर पर जिसमें स्वास्थ्यकर्मियों, धार्मिक नेताओं और समुदाय के सदस्यों ने भाग लिया और वे अंगदान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक मंच पर आए।
गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा नाका हिंडोला लखनऊ के ग्रन्थी ज्ञानी गुरजिंदर सिंह ने कहा कि मानव कल्याण के लिए सिख गुरुओं ने बलिदान दिया है। उन्होंने कहा कि सिख पंथ नि:स्वार्थ सेवा के एक रूप के रूप में अंग दान का समर्थन करता है, जो धर्म के मूल सिद्धांत हैं। श्री राधारमण बिहारी इस्कॉन मंदिर के अपरिमेय श्याम दास ने कहा कि शरीर नश्वर है, लेकिन आत्मा अमर है, और यदि शरीर के अंगों का उपयोग लोगों के जीवन को बचाने के लिए किया जा सकता है, तो इसे दान किया जाना चाहिए।
श्री पास्टन जेरी गिब्सन जॉय, लखनऊ, समन्वित मंत्री, असेंबली ऑफ गॉड ऑफ नॉर्थ इंडिया लीड पास्टर, ओपन डोर्स एजी चर्च ने कहा कि यीशु मसीह ने मानवता की भलाई के लिए भगवान के बलिदान को याद किया, और इस प्रकार मानव की भलाई के लिए अंग दान का समर्थन किया। दारुल-उलूम नदवतुल-उलमा लखनऊ के व्याख्याता एम यूसुफ मुस्तफा नदवी ने संदेश दिया कि कई इस्लामी देश पहले से ही अंग दान और प्रत्यारोपण के समर्थन में हैं।
संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर आर के धीमन ने कहा कि इस मिथक को तोड़ा कि भले ही कोई व्यक्ति अंगदान का संकल्प ले ले, डॉक्टर अपने कर्तव्य पर, मरीजों के जीवन को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं, और मस्तिष्क- मृत्यु की घोषणा डॉक्टरों की एक टीम करती है, एक डॉक्टर नहीं। दुनिया में मस्तिष्क की मृत्यु की घोषणा के बाद कोई भी जीवित नहीं बचा। इस अवसर पर एसजीपीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नारायण प्रसाद ने बताया कि हिंदू धर्म, इस्लाम, ईसाई धर्म और सिख धर्म सहित कई धर्म, करुणा और दान के कार्य के रूप में अंग दान का समर्थन करते हैं। अंगदान एक महान कार्य है जो उनकी आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुरूप है। ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. उदय प्रताप सिंह ने डोनर सुरक्षा की चिंता के बारे में मिथकों को तोड़ा और बताया कि किसी भी दाता को नुकसान नहीं पहुँचाया जाता है और यह हमेशा प्राथमिकता होती है कि जीवित दान के मामले में डोनर को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए।
हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन