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जोधपुर, 28 अगस्त (हि.स.)। ऋषि पंचमी का पर्व गुरुवार को श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस एक ही दिन में दिन अलग-अलग आयोजन हुए। सुबह लोगों ने तालाबों में श्रावणी कर्म कर पितृ तर्पण किया। दोपहर में ऋषि पूजन कर हमारे ऋषियों को याद किया और हवन में आहुतियां दी। इसके साथ ही जो लोग रक्षा बंधन पर राखी नहीं बंधवाते, उन लोगों ने राखी बंधवाई। कई समाज ऋषि पंचमी को ही रक्षा बंधन का पर्व मनाते हैं।
ऋषि पंचमी पर्व पर आज जोधपुर सहित देश भर में ऋषियों और पूर्वजों का तर्पण किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने पवित्र नदी-सरोवरों में स्नान कर पितृ देवों को जल चढ़ाया। कई स्थानों पर श्रीमाली ब्राह्मण समाज ने परंपराओं का पालन करते हुए ऋषियों का पूजन कर तर्पण किया और व्रत रखा। ऋषि पंचमी का पर्व सप्त ऋषियों को समर्पित है और इस दिन व्रत करने का विशेष महत्व है, जिससे रजस्वला दोष से मुक्ति मिलती है। ऋषि पंचमी के अवसर पर श्रीमाली समाज की महिलाओं ने पवित्र सरोवर पदमसर पर ऋषियों व पितरों को जल अर्पण किया।
मान्यता के अनुसार श्रीमाली समाज की महिलाओं द्वारा वर्ष में एक बार ऋषि पंचमी के अवसर पर सप्त ऋषियों व अपने कुल के पितरों को जल अर्पण किया जाता है। महिलाओं ने व्रत रखकर कथा सुनी और विधिवत रूप से पूजा-अर्चना की। मान्यता है कि ऋषि पंचमी के दिन तालाब, सरोवर पर ऋषियों और पूर्वजों को याद करके तर्पण करने के बाद घर जाकर अनाज ग्रहण नहीं करते हुए मणीचा व सिंघाड़े का आटा, तोरू, काचरा आदि सब्जियों को पवित्रता के साथ बनाकर उपवास खोला जाता है।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश