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जोधपुर, 28 अगस्त (हि.स.)। प्रदेश के अन्नदाता एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की राह पर हैं। इसके तहत छह अक्टूबर को जयपुर में अन्नदाता हुंकार रैली का आयोजन होगा। दावा है कि इस रैली में प्रदेश के 45541 गांवों में से प्रत्येक में से एक व्यक्ति शामिल होगा। किसान राजनीतिक दलों की प्राथमिकता में रहे इसके लिए यह रैली की जा रही है। यह जानकारी किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने गुरुवार को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में दी।
उन्होंने बताया कि इसके लिए महामपंचायत के प्रतिनिधि हर जिले में जाकर किसानों को अपने हितों के लिए खड़े होने के लिए जागरूक कर रहे हैं। जाट ने बताया कि इस वर्ष 75 से 80 प्रतिशत फसलें खराब हो चुकी हैं। आपदा राहत कोष के तहत 6800 असचिंत प्रति हैक्टयेर और सिंचित के लिए 13500 प्रति हैक्टेयर का मुआवजा देने का प्रावधान है। लेकिन ये सिर्फ वादे हैं। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सरकार प्रीमियम तो वसूलती है, लेकिन क्लेम नहीं देती। क्योंकि उनके फार्मूलें में पादर्शिता नहीं है।
सरकार ने हाल ही में सभी के प्रीमियम काटा है, जबकि फसल कटेगी नहीं, तो प्रीमियम क्यों काटा? सौ रुपए की राशि पर फसल खराब होने पर 25 रुपए क्लेम देने की बात कही जा रही है। यह नीति बहुत घातक है और कंपनियों के पक्ष में है। भारत सरकार के अनुसार 5 साल में फसल बीमा कंपनियों ने 34 हजार करोड़ रुपए कमाए। यह किसानों के लिए कंपनियां थीं या उनसे कमाने के लिए थी।
समझौता निरस्त करने की मांग
जाट ने बताया कि हमने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में सिंधु नदी का समझौता निलंबित करने की बजाय निरस्त करने का प्रस्ताव पारित किया था। राजस्थान का पानी तो अभी भी पाकिस्तान जा रहा है, उसे रोककर जल बंटवारा ठीक करना चाहिए। 1994 में यमुना नदी का समझौता हुआ, आज तक एक बूंद नहीं आई। 2006 में नर्मदा का पानी पूरा नहीं आया। राजस्थान के हिस्से का पानी हरियाणा और पंजाब में जा रहा है। इसलिए हम किसानों के लिए अन्नदाता हुंकार रैली करने जा रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश