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झुंझुनू, 27 अगस्त (हि.स.)। राजस्थान के सैनिक बहुल झुंझुनू जिले ने एक और लाल देश की रक्षा में खो दिया। जिले के बगड़ थाना इलाके के लालपुर गांव निवासी हवलदार इकबाल खान (21 ग्रेनेडियर) श्रीनगर के कुपवाड़ा सेक्टर में 26 अगस्त 2025 को शहीद हो गए। जिले का यह जांबाज सपूत बुधवार सुबह तिरंगे में लिपटा हुआ अपने पैतृक गांव पहुंचेगा। जहां गम और गर्व के माहौल में अंतिम यात्रा निकलेगी।
शहीद हवलदार इकबाल खान 15 जनवरी 2003 को भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। वे 21 ग्रेनेडियर यूनिट से जुड़े थे। सैन्य परंपरा इनके परिवार में गहराई से जुड़ी रही है। शहीद के पिता यासीन खान भी भारतीय सेना में हवलदार पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। जबकि उनके दादा अफजल खान ने भी सेना में सेवा दी थी। यही नहीं परिवार के अन्य सदस्य आज भी सुरक्षा बलों में तैनात हैं। एक चाचा राजस्थान पुलिस में सेवा दे रहे हैं। इस तरह इकबाल खान का पूरा परिवार देश की सुरक्षा और सेवा से सीधे जुड़ा रहा है।
इकबाल खान का विवाह नसीम बानो से हुआ था जो बुडाना गांव की रहने वाली हैं। शहीद अपने पीछे एक नन्हीं बेटी को छोड़ गए हैं। पिता की शहादत की खबर मिलते ही पूरे परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन गर्व का भाव भी झलकता है कि उनका बेटा मातृभूमि की रक्षा करते हुए शहीद हुआ। लालपुर गांव में मंगलवार देर शाम से ही भीड़ जुटनी शुरू हो गई। शहीद के पैतृक घर पर गम और गर्व का माहौल है। लोग परिवार को ढांढस बंधा रहे हैं। आसपास के गांवों में शोक की लहर है।
शहीद हवलदार इकबाल खान का पार्थिव शरीर 28 अगस्त की सुबह झुंझुनू पहुंचेगा। इसके बाद अग्रसेन सर्किल से लालपुर गांव तक तिरंगा यात्रा निकाली जाएगी। सुबह 8 बजे शुरू होने वाली इस यात्रा में हजारों लोग शामिल होंगे। इसके बाद सुबह 10 बजे गार्ड ऑफ ऑनर के साथ सैनिक सम्मान से सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। सेना की टुकड़ी सलामी देकर अपने वीर साथी को अंतिम विदाई देगी।
झुंझुनू जिला हमेशा से वीरों की धरती रही है। यहां के सैकड़ों जवान सीमा पर देश की रक्षा कर रहे हैं और कई सपूत शहादत देकर इतिहास रच चुके हैं। हवलदार इकबाल खान की शहादत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि यहां का हर परिवार देश की रक्षा में अपना योगदान देने को तैयार है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रमेश