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जोधपुर, 22 अगस्त (हि.स.)। पर्यावरणीय धरोहर, सामुदायिक जीवन और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के उद्देश्य से रणबंका बालाजी ट्रस्ट ने फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी (भीलवाड़ा) के सहयोग से रणबंका पैलेस में जैव विविधता और संरक्षण: पारिस्थितिक मनोविज्ञान और पारिस्थितिक स्वास्थ्य निगरानी की समझ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।
कार्यशाला में रानी श्वेता कुमारी ने कहा कि जैव विविधता केवल प्रकृति की रक्षा नहीं, बल्कि उन समुदायों के भविष्य की सुरक्षा है, जो उस पर निर्भर हैं। रणबंका बालाजी ट्रस्ट संरक्षण और सामुदायिक सशक्तिकरण को जोड़ते हुए दीर्घकालिक मॉडल तैयार कर रहा है। ट्रस्ट के जनमेजय सिंह राठौड़ ने कहा कि बदलते पर्यावरणीय संदर्भ में जैव विविधता की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कार्यशाला में विशेष अतिथि पुलिस आयुक्त ओमप्रकाश और जिला कलेक्टर गौरव अग्रवाल उपस्थित रहे और इस पहल को संस्थागत सहयोग प्रदान किया। बटरफ्लाई रिसर्च सेंटर के प्रसिद्ध प्रकृतिविद पीटर स्मेटासेक ने बताया कि तितलियां पर्यावरण में होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों की संकेतक हैं और जैव विविधता की गहन समझ के बिना संरक्षण प्रयास अधूरे रहते हैं।
विशेषज्ञों में गिरधारी लाल वर्मा, डॉ. अनिल सर्सावन, पीटर स्मेटासेक और डॉ. सतीश कुमार शर्मा ने पारिस्थितिकी पुनर्स्थापन, भूमि व जल प्रबंधन तथा जैव विविधता संरक्षण पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम के समापन पर हिमानी शर्मा और गिरधारी लाल वर्मा ने खुली चर्चा का संचालन किया। इसमें तितलियों और भूजल पुनर्भरण, ग्रामीण आजीविकाओं में साझा संसाधनों की भूमिका, शुष्क भूभाग के अनुभव तथा पारिस्थितिकी और अर्थशास्त्र के संबंध जैसे विषयों पर विचार-विमर्श हुआ।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश