Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
कानपुर, 02 अगस्त (हि. स.)। निजी विश्वविद्यालय द्वारा व्हीलचेयर पर आने की वजह से एलएलएम में दाख़िला न देने का मामला जब जनता दर्शन में सामने आया, तो जिलाधिकारी ने तत्काल कार्रवाई कराते हुए व्यवस्था को संवेदनशीलता के साथ जवाबदेह बना दिया। जिलाधिकारी के सख्त हस्तक्षेप देख निजी विश्वविद्यालय को झुकना पड़ा। उन्होंने कहा कि एक होनहार छात्रा को उसका शिक्षा का हक मिलना ही चाहिए। दिव्यांगता को बाधा मानने वाली सोच रखने वाले शिक्षा के अधिकार को कम नहीं कर सकते है। साथ कानूनी कार्रवाई के दायरे में भी आ सकते है।
आपको बता दें कि रामबाग निवासी श्रेया शुक्ला ने डीसी लॉ कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की है। वह अब एलएलएम करना चाहती थीं। एक निजी विश्वविद्यालय ने पहले उन्हें प्रवेश का भरोसा दिया, पीडब्ल्यूडी श्रेणी में फीस में छूट दी और आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराने की बात भी कही। लेकिन जब श्रेया 29 जुलाई को दाख़िले के लिए पहुँचीं, तो यह कहकर मना कर दिया गया कि हम व्हीलचेयर पर आने वाले छात्रों का दाख़िला नहीं लेते।
श्रेया के पिता अधिवक्ता एल.के. शुक्ल ने 30 जुलाई को जनता दर्शन में जिलाधिकारी से मिले और प्रकरण की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने यूजीसी के दिशा-निर्देश, दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, और उच्चतम न्यायालय के निर्णयों का हवाला देते हुए बेटी के साथ हुए भेदभाव की शिकायत की।
जिलाधिकारी ने इसे अत्यंत गंभीर प्रकरण मानते हुए तत्काल एसडीएम सदर अनुभव सिंह को निर्देशित किया कि विश्वविद्यालय प्रबंधन से बात कर छात्रा को उसका विधिक अधिकार दिलाया जाए। एसडीएम सदर ने उसी दिन विश्वविद्यालय से वार्ता कर नियमों की जानकारी दी और स्पष्ट निर्देश दिया कि दिव्यांग छात्रों को शिक्षा से वंचित करना न केवल अनुचित, बल्कि कानून के खिलाफ है।
जिलाधिकारी ने खुद पूरे प्रकरण की मॉनिटरिंग करते रहे और श्रेया का दाख़िला सुनिश्चित होने तक निरंतर संपर्क में बने रहे। एक अगस्त को विश्वविद्यालय ने इंट्रेंस टेस्ट आयोजित किया जिसे श्रेया ने अच्छे अंकों के साथ पास किया। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने श्रेया को दाख़िला दिया।
छात्रा और उनके पिता ने जिलाधिकारी और प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया। उनका कहना था कि यदि समय पर जिलाधिकारी हस्तक्षेप न करते , तो एक योग्य छात्रा का साल बर्बाद हो जाता।
जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि सरकार ने दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए समुचित नियम बनाये हैं। इनका कड़ाई से पालन किया जाना अनिवार्य है। किसी भी संस्था को अधिकार नहीं है कि वह दिव्यांगता की विशेषीकृत श्रेणी के आधार पर किसी छात्र या छात्रा को शिक्षा से वंचित करे। यदि ऐसा कोई मामला सामने आता है तो प्रशासन पूरी कठोरता से कार्यवाही करेगा।
हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद