कोल इंडिया में आउटसोर्सिंग, राष्ट्र के लिए खतरा : रघुनंदन
सम्मानित करते यूनियन के सदस्य


कार्यक्रम में शामिल लोग


रामगढ़, 2 अगस्त (हि.स.)। हिन्द खदान मजदूर फेडरेशन के सहायक महामंत्री पद पर राघव रघुनंदन को मनोनीत किया गया है। साथ ही कार्यकारिणी सदस्य के रूप में चंदेश्वर सिंह चुने गए हैं। उन दोनों मजदूर नेताओं का स्वागत शनिवार को कोल्ड फील्ड मजदूर यूनियन के बैनर तले किया गया।

इस मौके पर वेलफेयर बोर्ड के सदस्य रंजीत पांडे, ढोरी क्षेत्रीय सचिव आर ओनेश, सेफ्टी बोर्ड सदस्य खुशी लाल महतो, कार्यकारी अध्यक्ष विनय मानकी सिंह मौजूद थे। ला मैरिटल होटल के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में हिन्द खदान मजदूर फेडरेशन के सहायक महामंत्री राघव रघुनंदन ने केंद्र सरकार और कोल इंडिया प्रबंधन पर मजदूर हित में दबाव बनाने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि पिछले 20 वर्षों से फेडरेशन का चुनाव नहीं हुआ था, जिसकी वजह से यह समिति निष्क्रिय हो गई थी। काफी लंबे अर्से के बाद समिति का पुनर्निर्माण हुआ है। एक बार फिर कोयला मजदूरों के हित में निर्णय लेने की आवश्यकता है। साथ ही कोयला मजदूरों के लिए आंदोलन और समझौता करने के लिए भी इस समिति ने संकल्प लिया है।

कोयला मजदूरों के समक्ष है कई समस्याएं

राघव रघुनंदन ने कहा कि आज कोयला मजदूरों के समक्ष कई गंभीर समस्याएं हैं। लेकिन सार्थक पहल नहीं होने की वजह से मजदूर परेशान हो रहे हैं। सबसे बड़ी विडंबना मेडिकल बोर्ड को लेकर है। ऐसे कई मजदूर हैं जिन्हें मेडिकल बोर्ड गठित कर अनफिट करने की आवश्यकता है, ताकि उनके आश्रितों को नौकरी मिल सके। लेकिन कोल इंडिया प्रबंधन कमेटी गठित नहीं कर वैसे कर्मचारियों को बीमार अवस्था में ही रख रही है। साथ ही उनका वेतन भी कम कर 50 फ़ीसदी का ही भुगतान किया जा रहा है। इसके अलावा ऐसे कई कैडर कोल इंडिया में हैं जिनके पद पर लोगों का प्रमोशन नहीं हो पा रहा है। 17- 18 वर्षों में कई तकनीकी विकास हो चुके हैं। मशीनों का मॉडल बदल गया और कार्य करने के तरीके बदल गए। लेकिन मजदूरों को पुराने ही कैडर में रखा गया है, ताकि उनका विकास ना हो सके।

मजदूरों के ऊपर लगातार खतरा मंडरा रहा

रघुनंदन ने कोल इंडिया में आउटसोर्सिंग को राष्ट्र के लिए ही खतरा बताया है। उन्होंने कहा कि संगठित मजदूरों के लिए कई यूनियन काम कर रहे हैं। लेकिन असंगठित मजदूरों के ऊपर लगातार खतरा मंडराता रहा है। कांग्रेस के शासनकाल में ही आउटसोर्सिंग की शुरुआत हुई थी। लेकिन मोदी सरकार में आउटसोर्सिंग का विस्तार काफी बड़े पैमाने पर हो गया। यहां तक कि माइनिंग सेक्टर में भी आउटसोर्सिंग को डालकर इसे प्राइवेटाइजेशन की तरफ धकेल दिया गया है। कोयल का जब राष्ट्रीयकरण किया गया था, उसका जो मूल उद्देश्य था वह आउटसोर्सिंग की वजह से खत्म होता जा रहा है। संगठित मजदूर यूनियन ने असंगठित मजदूरों के लिए जेबीसीसीआई में भी मुद्दा उठाया था। तब कॉन्ट्रैक्ट मजदूरों के लिए वेतनमान निर्धारित हुए थे। लेकिन चिंता की बात यह है कि समझौते के बावजूद वह मुद्दा लागू नहीं हो पाया। आज मजदूर हित में असंगठित मजदूरों को यूनियन के साथ एक मंच पर आना होगा ताकि मजदूर को न्याय मिल सके।

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हिन्दुस्थान समाचार / अमितेश प्रकाश