केजीएमयू से चिकित्सकों का हो रहा मोहभंग, नैक ग्रेडिंग पर पड़ेगा असर
केजीएमयू


लखनऊ, 02 अगस्त (हि.स.)। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय से विशेषज्ञ चिकित्सकों को मोहभंग हो रहा है। मरीजों के दबाव व सुविधाओं के अभाव में वरिष्ठ चिकित्सक केजीएमयू छोड़कर जा रहे हैं। विगत एक महीने के भीतर केजीएमयू के तीन चिकित्सकों ने इस्तीफा दे दिया है। केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा. अजय वर्मा ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान ज्वाइन कर लिया है। डा. अजय वर्मा लोहिया संस्थान के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष का काम भी देखेंगे।

जुलाई माह में ही चीफ प्राक्टर व न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डा. क्षितिज श्रीवास्तव ने केजीएमयू छोड़ा है। उन्होंने आलमबाग के निजी अस्पताल में कार्य करना शुरू कर दिया है। उसके बाद केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग के डा. आदर्श त्रिपाठी ने इस्तीफा दिया है। हलांकि अभी केजीएमयू ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। वह तीन महीने की नोटिस पर चल रहे हैं।

अधिक वेतन की चाहत में केजीएमयू छोड़ रहे डाक्टर

केजीएमयू छोड़ने के पीछे एक प्रमुख कारण काम का दबाव भी माना जा रहा है। संस्थान की ओपीडी में काफी भीड़ होती है। इसके साथ ही वॉर्ड में भर्ती मरीजों के इलाज और एमबीबीएस स्टूडेंट्स को पढ़ाना भी पड़ता है। वहीं निजी अस्पताल डॉक्टरों को बेहतर वेतन और सुविधाएं देकर अपने यहां बुला रहे हैं। इसके साथ ही निजी प्रैक्टिस भी एक बड़ा कारण है। इसी के चलते तमाम वरिष्ठ और नामचीन डॉक्टर सरकारी संस्थान छोड़कर निजी का रुख कर रहे हैं।

केजीएमयू के टीचर्स एसोसिएशन के महामंत्री डा.संतोष कुमार का कहना है कि केजीएमयू में सभी चिकित्सकों का समान वेतन है। इसके अलावा मरीजों का दबाव ज्यादा रहता है। अधिक वेतन व सुविधाओं के लिए लोग प्राईवेट संस्थानों में जा रहे हैं।

मरीजों के इलाज पर पड़ेगा असर

केजीएमयू के अलग-अलग विभागों में चिकित्सकों के करीब 70 पद रिक्त हैं। इन पर नई नियुक्तियां न होने और चिकित्सकों के पलायन के बाद मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है। अगर इसी तरह विशेषज्ञ चिकित्सक केजीएमयू छोड़कर जाते रहे तो मरीजों का इलाज प्रभावित होगा। इससे विश्वविद्यालय की नैक ग्रेडिंग पर भी असर पड़ सकता है। नैक ग्रेडिंग में फैकल्टी का स्थायित्व, अनुभव और अनुसंधान गतिविधियों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी से शिक्षण, शोध और मरीजों की देखभाल की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है। ऐसे में लगातार होने वाले इस्तीफों से विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा के साथ ही एनआईआरएफ रैंकिंग को नुकसान पहुंच सकता है।

अभी तक इन्होंने छोड़ा केजीएमयू

अभी हाल के तीन नामों डा. अजय वर्मा,डा.क्षितिज व डा. आदर्श त्रिपाठी के अलावा डॉ. संत कुमार पांडे (नेफ्रोलॉजी), डॉ. मनमीत (यूरोलॉजी), डॉ. विजयंत कुमार (सीवीटीएस), डॉ. साकेत कुमार (सर्जिकल गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी), डॉ. मधुकर मित्तल (एंडोक्राइनोलॉजी), डॉ. विवेक गुप्ता और डॉ. प्रदीप जोशी केजीएमयू छोड़ चुके हैं। जबकि इनके पहले भी डॉ. राहुल सिन्हा (ओरल), डॉ. सुमित पांडे (नेफ्रोलॉजी), डॉ. सुनील कुमार (न्यूरोलॉजी), डॉ. मनजीत, डॉ. संदीप, डॉ. अरविंद गुप्ता (एलजे), डॉ. विवेक पांडे (जनरल सर्जरी), डॉ. अंशुमान अग्रवाल, डॉ. ज्योत्सना अग्रवाल, डॉ. अनुपम वाखलू (रूमेटोलॉजी) भी केजीएमयू छोड़कर जा चुके हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन