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दीर अल-बलाह, 02 अगस्त (हि.स.)। इजराइल की ओर से शनिवार को किए गए हमलों में गाजा में कम से कम 18 फिलिस्तीनियों की मौत हो गई, जिनमें से आठ लोग भोजन की तलाश में निकले थे। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि मानवीय सहायता की भारी कमी और जमीन से राहत सामग्री पहुंचाने में आ रही बाधाओं के चलते, स्थानीय लोग जान की परवाह किए बिना सहायता केंद्रों की ओर जा रहे हैं।
घटना गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन (जीएचएफ) के वितरण केंद्र के पास हुई, जहां भोजन के लिए आए याहिया यूसुफ ने बताया कि गोलियों से घायल तीन लोगों को उठाने के बाद उन्होंने चारों ओर खून से लथपथ अन्य लोगों को भी देखा। उन्होंने कहा, यह अब रोजमर्रा की त्रासदी बन चुकी है।
जीएचएफ का कहना है कि उनके सुरक्षाकर्मियों ने केवल भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पेपर स्प्रे या चेतावनी स्वरूप गोलियां चलाईं। वहीं इजराइली सेना का कहना है कि उन्होंने सिर्फ चेतावनी के तौर पर फायरिंग की है। हालांकि, दोनों पक्षों ने मौतों की संख्या को “बढ़ा-चढ़ाकर” बताया गया बताया है।
इजराइल के सैन्य प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एयाल ज़मीर ने शनिवार को चेतावनी दी कि यदि बंधकों को रिहा नहीं किया गया तो “लड़ाई बिना रुके जारी रहेगी।” उन्होंने कहा कि सेना हमास पर लगातार दबाव बढ़ाने के लिए अपनी रणनीति बदलेगी।
यह घटना ऐसे समय हुई जब एक दिन पहले अमेरिका के राजदूत माइक हकाबी ने एक सहायता वितरण केंद्र का दौरा किया था और उसे अद्भुत प्रयास बताया था। लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नाराजगी लगातार बढ़ रही है, क्योंकि गाजा में भूख से जूझते लोगों को राहत देने की कोशिशें हिंसा और विवादों में उलझती जा रही हैं।
संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 27 मई से 31 जुलाई के बीच जीएचएफ केंद्रों के पास 859 लोग मारे गए, जबकि सैकड़ों अन्य भोजन काफिलों के रास्ते में मारे गए हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय