जातरूओं के लिए सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले चश्मे देने का केन्द्र बना नेत्रकुम्भ
जैसलमेर, 11 अगस्त (हि.स.)। रामदेवरा में लोकदेवता बाबा रामदेवजी की समाधि के दर्शनार्थ ओर धोक देने प्रदेश व देश के कोने-कोने से पधारे श्रद्धालुओं और जातरूओं को उच्च कोटि के चश्में देने का केन्द्र बन गया है नेत्रकुम्भ महाजाँचशिविर जहाँ वैज्ञानिक और प्रा
जातरूओं के लिए सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले चश्मे देने का केन्द्र बना नेत्रकुम्भ


जैसलमेर, 11 अगस्त (हि.स.)। रामदेवरा में लोकदेवता बाबा रामदेवजी की समाधि के दर्शनार्थ ओर धोक देने प्रदेश व देश के कोने-कोने से पधारे श्रद्धालुओं और जातरूओं को उच्च कोटि के चश्में देने का केन्द्र बन गया है नेत्रकुम्भ महाजाँचशिविर जहाँ वैज्ञानिक और प्रामाणिक प्रक्रिया से गुजरकर प्रत्येक लाभार्थी को उच्च व सटीक नम्बर का गुणवत्ता युक्त चश्मा प्रदान किया जाता है।

लोकदेवता बाबा रामदेव नेत्रकुम्भ 2025 रामदेवरा मीडिया प्रभारी विजय अग्रवाल के अनुसार प्रतिदिन सुबह 9 बजे सर्वप्रथम पंजीकरण काउन्टर में पंजीकरण के पश्चात प्रत्येक व्यक्ति की हाइट, वजन, रक्तचाप और ग्लोकोमिटर द्वारा सुगर जाँच की जाती है जिसे नेत्र चिकित्सक को दिया जाता है। उसके पश्चात नेत्र सहायक द्वारा मरीज की ओटो रेफरेक्टोमीटर मशीन पर रोगी की आँखों की शक्ति ओर प्रकाश के बदलाव का सटीक माप लिया जाता है जिससे नेत्ररोग विशेषज्ञ को मरीज को इलाज लिखने में मदद मिलती है।

उसके पश्चात मरीज को चार्ट पर अलग-अलग अक्षर और प्रतीक पढ़ाये जाते हैं जिससे यह पता लगता है कि रोगी की आँखों की रोशनी कितनी अच्छी है तत्पश्चात स्लिट लेंप, जो कि आँखों का माइक्रोस्कोप होता है, की मदद से आँखों के विभिन्न हिस्सों ओर आखों की संरचना को विस्तार से देखा जाता है, जिसको करने के पश्चात नेत्ररोग विशेषज्ञ रोगी को नम्बर व लेंस जैसे दूर का या पास का या दोनों तरह का लगेगा, निर्धारित करते हैं।

नेत्ररोग विशेषज्ञ द्वारा रोगी की सटीक जानकारी को पर्ची में अंकित करने के पश्चात लाभार्थी की पर्ची को चश्मा बनने के लिए आयोजन समिति द्वारा स्थापित चश्मा फैक्ट्री में भेजा जाता है जहाँ हाथों-हाथ आधे घण्टे में लाभार्थियों को चश्मा प्रदान किया जाता है।

चश्मा फैक्ट्री में अत्याधुनिक मशीनों के माध्यम से लेंस का निर्धारण होता है फिर स्वचालित मशीन के माध्यम से लेंस की फ्रेम में कटिंग व फिटिंग की जाती है। लेंस को फ्रेम में स्थापित करने के पश्चात चश्में की पोलिश ओर सफाई की जाती है और अंत मे बॉक्स में डालकर लाभार्थी को निःशुल्क चश्मा प्रदान किया जाता है।

चश्मा बनने की प्रक्रिया पूरी तरह कम्प्यूटरीकृत, कुशल ओर पेशेवर नेत्र सहायकों की टीम द्वारा पूर्ण की जाती है जिसका कुशल नेतृत्व बैंगलोर से पधारे ट्रांस विजन कम्पनी के मुख्य निदेशक श्री एस राजगोपालन कर रहे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / राजीव