राज्यपाल बागडे ने 'राष्ट्रोत्थान' ग्रंथ का विमोचन किया
जयपुर, 11 अगस्त (हि.स.)। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने सोमवार को पाथेय भवन में ''राष्ट्रोत्थान'' ग्रंथ का विमोचन किया। उन्होंने संघ के शताब्दी वर्ष पर समाज परिवर्तन के लिए प्रस्तुत पंच सूत्रों की चर्चा करते हुए कहा कि सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन,
राज्यपाल  बागडे ने 'राष्ट्रोत्थान' ग्रंथ का विमोचन किया


जयपुर, 11 अगस्त (हि.स.)। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने सोमवार को पाथेय भवन में 'राष्ट्रोत्थान' ग्रंथ का विमोचन किया। उन्होंने संघ के शताब्दी वर्ष पर समाज परिवर्तन के लिए प्रस्तुत पंच सूत्रों की चर्चा करते हुए कहा कि सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण, नागरिक कर्तव्य और स्व जागरण से ही राष्ट्रोत्थान संभव है। उन्होंने कहा कि मां भारती का परम वैभव ही हम सभी का ध्येय होना चाहिए। उन्होंने देश के सर्वांगीण विकास और वैभव के लिए मिलकर कार्य करने का आह्वान किया।

बागडे ने पाथेय भवन में हिन्दुस्तान प्रकाशन संस्था और पाथेय कण संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में 'राष्ट्रोत्थान' ग्रंथ के प्रकाशन को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि संस्कृति हमारे जीवन जीने का ढंग है। निरंतर होने वाले परिवर्तनों को स्वीकार करते हुए जीवन में आगे बढ़ना ही संस्कृति है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद को केन्द्र में रखकर कार्य करने की भी आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि 'व्यष्टि नहीं समष्टि' के अंतर्गत सभी सामाजिक समरसता और भेदभाव से ऊपर उठकर कार्य करें। उन्होंने आजादी आंदोलन से लेकर विभिन्न अवसरों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महत्वपूर्ण अवदान की चर्चा करते हुए संघ की 'राष्ट्र प्रथम' की सोच से सबको जुड़ने पर जोर दिया।

संघ ने शताब्दी वर्ष में पांच क्षेत्रों में काम करने का प्रण किया है- पतंगे

इस अवसर पर संघ के ज्येष्ठ विचारकर रमेश पतंगे ने कहा कि संघ ने शताब्दी वर्ष में 5 क्षेत्रों स्व का बोध, कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, नागरिक कर्तव्य और पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने का प्रण किया है। संविधान की कम समझ के कारण सभी लोग अधिकारों की बात करते हैं परंतु अपना विचार अधिकारों में स्थान पर कर्तव्यों की बात करता है। कर्तव्य का जागरण समाज में करने की आवश्यकता है, इसके लिए नागरिक कर्तव्यों का पालन। इन विषयों की समझ सभी में विकसित हो उसके लिए इस ग्रंथ की रचना की है। संघ की शक्ति सभी को महसूस हो ऐसी स्थिति अभी है परंतु बुरी घटनाओं को हम रोक सकें। ऐसी शक्ति हमको विकसित करनी है। अभी आसुरी शक्तियां एकत्रित होकर झूठे नैरेटिव देश में चल रही हैं, अमेरिका जैसे देश भारत को महाशक्ति बनने से रोकने के लिए 50 प्रतिशत टैरिफ जैसे कदम उठा रहा है। एक मन, एक विचार, एक संकल्प से खड़े रहकर हमको इन सबसे लड़ना है, ऐसा साहस ईश्वर हमको प्रदान करे।

संघ की 100 वर्ष की यात्रा पुरुषार्थ, परिश्रम से परिपूर्ण व गौरवशाली है- क्षेत्र संघचालक

समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ के राजस्थान क्षेत्र संघचालक डॉ. रमेशचन्द्र अग्रवाल ने कहा कि संघ की 100 वर्ष की यात्रा पुरुषार्थ, परिश्रम से परिपूर्ण व गौरवशाली रही है। वे लोग जो भारत को इंडिया बनाये रखना चाहते हैं। कितने ही लोगों ने संघ को समाप्त करने का प्रयास किया है, परंतु समाज के स्नेह, ईश्वरीय अनुकंपा व स्वयंसेवकों के परिश्रम के कारण संघ को यह वर्तमान अवस्था प्राप्त हुई है। अब विभिन्न संस्थाओं, प्रकल्पों के माध्यम से आमजन संघ से जुड़ने को लालायित है। स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर हम अग्रसर हो रहे हैं। ऐसा आज दिखाई देता है। आज जैसा स्वरूप संघ का दिखाई देता है उसका बीजारोपण 100 वर्ष पूर्व डॉ. हेडगेवार जी ने किया था। समाज के जिस क्षेत्र में आवश्यकता थी, उस क्षेत्र में जाकर स्वयंसेवकों ने कार्य किया है। जिसके कारण आज समाज में परिवर्तन हमें दिखाई देता है। जिन पंच परिवर्तनों की बात संघ कर रहा है वे सभी स्वयं से प्रारंभ कर समाज आचरण का भाग बनें, राष्ट्रोत्थान ग्रंथ उसके संदर्भ ग्रंथ के रूप में उपयोगी होगा ऐसा मेरा मानना है।

समारोह में राज्यपाल ने ‘राष्ट्रोत्थान’ग्रंथ विमोचन का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने पाथेय भवन में वरिष्ठ प्रचारक माणक जी के नाम पर कक्ष का उद्धाटन भी किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश