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जयपुर, 10 अगस्त (हि.स.)। पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर लड्डू गोपाल का अभिषेक और पूजा-अर्चना के साथ व्रत करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती हैं।
पंडित श्री कृष्ण चन्द्र शर्मा ने बताया कि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 15 अगस्त को रात्रि 11:52 मिनट पर और समापन 16 अगस्त को रात्रि 09:36 मिनट पर होगा। मान्यता अनुसार मथुरा के कारागार में वासुदेव और देवकी की आठवीं संतान के रूप में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मध्य रात्रि में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था । इसलिए मध्य रात्रि में ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता हैं। ऐसे में 15 अगस्त को स्मार्त संप्रदाय के भक्त जन कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे और वैष्णव जन 16 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे।
शर्मा ने बताया कि 16 अगस्त की रात्रि को 09:45 से 12:29 तक पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त हैं। सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रात्रि के 12:04 मिनट से लेकर 12:47 मिनट तक हैं। इस दौरान भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश