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जयपुर, 10 अगस्त (हि.स.)। इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन (आईएसए) ने पूरे भारत में “ब्रेन स्ट्रोक–टाइम टू एक्ट” जागरूकता अभियान शुरू किया है। यह अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों में जागरूकता बढ़ाना हैं| क्योंकि चार से पांच घंटे के भीतर मतलब “गोल्डन विंडो” में इलाज करना जरूरी है, जिससे मरीजों के बचने और ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
जयपुर में जागरूकता फैलाने के लिए आईएसए ने इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ( एपीआई, जयपुर चैप्टर) और सोसाइटी फ़ॉर इमरजेंसी मेडिसिन इंडिया (एसईएमआई) के साथ साझेदारी की। इस कार्यक्रम में पब्लिक एजुकेशन सेशन्स, वर्कशॉप और कंटीन्यूइंग मेडिकल एजुकेशन (सीएमई) जैसे आयोजन शामिल थे। इसका उद्देश्य डॉक्टरों और इमरजेंसी रिस्पॉन्डर्स को स्ट्रोक के मामलों में तेज और सही कार्रवाई करने की जानकारी देना है। इसी तरह के कार्यक्रम देशभर के अन्य शहरों में भी आयोजित किए जाएंगे।सही जागरूकता और समय पर इलाज से 80 प्रतिशत स्ट्रोक मामलों को रोका जा सकता है।
आईएसए की अध्यक्ष डॉ. पी. विजया ने बताया कि स्ट्रोक की बीमारी किसी को भी हो सकती है| दो प्रकार के स्ट्रोक होते हैं, जिसमें सबसे आम रक्त के थक्के (ब्लड क्लॉट) के कारण होता है। इसका इलाज “ आईवी थ्रोम्बोलाइसिस” नाम की एक खास इंजेक्शन थेरेपी से किया जा सकता है, जो थक्का घोल देती है। लेकिन भारत में केवल सौ में से एक मरीज को ही समय पर यह इलाज मिल पाता है। जागरूकता की कमी के कारण मरीज समय पर इलाज के लिए नहीं डॉक्टर के पास नहीं आता हैं| इस कारण बिमारी का खतरा बढ़ता हैं।
उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य है स्थानीय डॉक्टरों और इमरजेंसी स्टाफ को प्रशिक्षित करना, ताकि वे लक्षण पहचान कर पहले घंटे में ही इलाज शुरू कर सकें। उन्होंने दोहराया कि “टाइम इज ब्रेन” – जितनी जल्दी इलाज शुरू होगा, उतने अच्छे नतीजे मिलेंगे। खासकर पहले चार—पांच घंटे में हर मिनट कीमती है।
आईएसए के सचिव डॉ. अरविंद शर्मा ने कहा, “स्ट्रोक अचानक होता हैं और हर मिनट की देरी स्थायी नुकसान या मौत का कारण बन सकती है। यह सिर्फ मेडिकल जानकारी फैलाने का कार्यक्रम नहीं है, यह जीवन बचाने का प्रयास है। समय रहते निदान और इलाज करने से जान बच सकती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश