जुलाई महीने में बिकवाल की भूमिका में बने रहे विदेशी निवेशक, एक महीेने में की 47,666 करोड़ से अधिक की बिकवाली
जुलाई के महीने में विदेशी निवेशकों ने की 47,666 करोड़ से अधिक की बिकवाली


नई दिल्ली, 1 अगस्त (हि.स.)। जुलाई का महीना घरेलू शेयर बाजार के लिए लगातार गिरावट वाला महीना बना रहा। इस महीने सेंसेक्स में 2,400 अंक से अधिक और निफ्टी में करीब 750 अंक की गिरावट आ गई‌। इसी तरह बीएसई पर लिस्टेड सभी कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन में भी 11.44 लाख करोड़ रुपये की कमी आ गई। फरवरी 2025 के बाद मार्केट कैपिटलाइजेशन में किसी एक महीने के दौरान आई ये सबसे बड़ी गिरावट है।

इस गिरावट के लिए विदेशी निवेशकों की स्टॉक मार्केट में की गई बिकवाली को प्रमुख कारण माना जा रहा है। जुलाई महीने में विदेशी निवेशकों ने 47,600 करोड़ रुपये से भी अधिक की बिकवाली की। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार जुलाई के महीने में विदेशी निवेशकों ने स्टॉक मार्केट में कुल ,84,138.54 करोड रुपये की खरीदारी की। वहीं इस अवधि में उन्होंने 3,31,805.22 करोड़ रुपये की बिकवाली की। इस तरह पूरे महीने के दौरान उन्होंने लिवाली की तुलना में 47,666.68 करोड़ रुपये ज्यादा के शेयर स्टॉक मार्केट में बेच डाले।

इसके पहले के 4 महीनों के दौरान विदेशी निवेशक बिकवाली की तुलना में लिवाली ज्यादा कर रहे थे। मार्च में विदेशी निवेशकों ने लिवाली और बिकवाली के आंकड़ों को मिला कर 2,014.18 करोड़ की लिवाली की थी। इसी तरह अप्रैल में 2,735.02 करोड़, मई में 11,773.25 करोड़ और जून में 7,488.28 करोड़ रुपये की विदेशी संस्थागत निवेशकों ने लिवाली की थी।

विदेशी निवेशकों द्वारा जुलाई में की गई भारी भरकम बिकवाली के कारण शेयर बाजार पर जबरदस्त दबाव बन गया। इस दबाव के कारण सेंसेक्स और निफ्टी में जुलाई के महीने मे करीब 3.50 प्रतिशत की कमजोरी आ गई। इसका एक नुकसान ये भी हुआ कि जुलाई में भारतीय शेयर बाजार दुनिया के टॉप 10 स्टॉक मार्केट्स में से सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला स्टॉक मार्केट बन गया।

मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि जुलाई में घरेलू शेयर बाजार में आई गिरावट के लिए विदेशी निवेशकों की बिकवाली तो एक प्रमुख कारण है ही, इसके साथ ही जून में खत्म हुई पहली तिमाही के दौरान कंपनियों के कमजोर नतीजों ने भी निवेशकों को निराश करने का काम किया। इसके साथ ही अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले टैरिफ की आशंका और अमेरिका के साथ ट्रेड डील को लेकर बनी अनिश्चितता ने भी निवेशकों के विश्वास को कमजोर किया।

धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी का मानना है कि महंगे वैल्यूएशन वाले शेयरों में सतर्कता और डेरिवेटिव मार्केट से आए कमजोर संकेतों ने स्टॉक मार्केट की गिरावट को और तेज कर दिया। इसके अलावा वोलैटिलिटी इंडेक्स की तेजी, इंडेक्स फ्यूचर्स में शॉर्ट पोजीशन और पुट-कॉल रेशियो ने भी शेयर कारोबारियों की चिंता में और बढ़ोतरी की, जिसका असर अंततः घरेलू शेयर बाजार की गिरावट के रूप में नजर आया।

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हिन्दुस्थान समाचार / योगिता पाठक