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भीलवाड़ा, 01 अगस्त (हि.स.)। राज्य सरकार की उपेक्षा और वर्षों से चली आ रही सामाजिक, शैक्षणिक व राजनीतिक हकमारी के खिलाफ गुरुवार को राष्ट्रीय पशुपालक संघ, डीएनटी संघर्ष समिति एवं विमुक्त घुमंतू अर्ध-घुमंतू जाति परिषद के संयुक्त तत्वावधान में भीलवाड़ा के आजाद चौक से कलेक्टर कार्यालय तक ‘महा-बहिष्कार’ रैली निकाली गई। रैली में समाज के हजारों लोग शामिल हुए। हाथों में काले झंडे और मुखर नारों के साथ समाज के लोगों ने अपने आक्रोश को प्रकट किया। रैली के समापन पर कलेक्टर ऑफिस के बाहर पुतला दहन कर सरकार के प्रति गहरा रोष जताया गया।
राष्ट्रीय पशुपालक संघ के अध्यक्ष लालजी राईका ने सभा में कहा कि सरकार वर्षों से डीएनटी समाज की अनदेखी कर रही है। हमारी मांगे बार-बार उठाई गई हैं, मगर न तो वार्ता होती है और न ही समाधान। यह हमारा अंतिम ज्ञापन है। अब आंदोलन ही हमारा उत्तर होगा। राईका ने बताया कि राजस्थान सरकार की सूची में केवल 32 डीएनटी समुदाय शामिल हैं, जबकि वास्तविक संख्या 50 से अधिक है। इनकी अनुमानित जनसंख्या 1 करोड़ 23 लाख है, जो राज्य की कुल जनसंख्या का 15 प्रतिशत है, लेकिन शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में भागीदारी शून्य है। कई समाजजनों के पास आज तक आवास नहीं है और प्रमाणपत्र भी नहीं बनाए जा रहे हैं।
विमुक्त घुमंतू अर्ध-घुमंतू जाति परिषद के प्रदेशाध्यक्ष रतननाथ कालबेलिया ने चेताया कि यदि सरकार ने अब भी वार्ता नहीं की तो 1 नवम्बर 2025 से डीएनटी समाज हाईवे पर उतरकर विरोध करेगा। इसके साथ ही हम पंचायत और निकाय चुनावों का बहिष्कार करेंगे। उन्होंने कहा कि डीएनटी समाज अब सरकारी प्रमाणपत्र शिविरों और योजनाओं का बहिष्कार करेगा, क्योंकि इनका समाज से कोई वास्तविक सरोकार नहीं है।
संगठन द्वारा दिये मांगपत्र में समाज ने सरकार के समक्ष पांच प्रमुख मांगें दोहराईं। जिसमें समाज को अलग से 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जाए। पंचायतों में 10ः प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए। बस्तियों की जमीन पर मालिकाना पट्टे दिए जाएं। समाज के बच्चों के लिए मॉडल स्कूलों की स्थापना की जाए। 1000 छात्रों को विदेश में पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति दी जाए।
आजाद चौक में हुई सभा में राजस्थान के विभिन्न जिलों से आए समाजजन, सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि और युवा बड़ी संख्या में शामिल हुए। सबकी एक ही आवाज थी अब नहीं सहेंगे उपेक्षा, हक लेकर रहेंगे। कार्यक्रम के समापन पर चेतावनी दी गई कि यदि सरकार ने जल्द वार्ता कर उचित समाधान नहीं किया तो आगामी तीन महीनों में यह आंदोलन पूरे राजस्थान में फैलाया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / मूलचंद