लूट की गुत्थी 48 घंटे में सुलझी, ईडी अधिकारी बनकर शो-रूम से की थी लूट, तीन गिरफ्तार
नई दिल्ली, 8 जुलाई (हि.स.)। नई दिल्ली जिला की चाणक्यपुरी थाना टीम ने एक हाई-प्रोफाइल अपहरण व लूट के मामले को महज 48 घंटे में सुलझा लिया है। पुलिस ने इस संबंध में तीन आरोपिताें काे गिरफ्तार किया है। आरोपितों ने खुद को ईडी का अधिकारी बताकर एक लग्जरी का
ईडी अधिकारी बनकर लूटपाट करने वाले आरोपितों की फोटो


नई दिल्ली, 8 जुलाई (हि.स.)। नई दिल्ली जिला की चाणक्यपुरी थाना टीम ने एक हाई-प्रोफाइल अपहरण व लूट के मामले को महज 48 घंटे में सुलझा लिया है। पुलिस ने इस संबंध में तीन आरोपिताें काे गिरफ्तार किया है। आरोपितों ने खुद को ईडी का अधिकारी बताकर एक लग्जरी कार शो-रूम में 30 लाख की लूट की थी। पुलिस ने आरोपितों कब्जे से 23 लाख की राशि (15 लाख नकद और 8 लाख एफडी में) बरामद कर ली है। इसके साथ ही वारदात में इस्तेमाल की गई कार और चोरी की रकम से खरीदी गई नई टाटा पंच कार को भी जब्त किया है।

पुलिस के मुताबिक दो जुलाई को कार शोरूम के असिस्टेंट मैनेजर अनिल तिवारी ने शिकायत दी ग्राहक से 30 लाख की नकदी प्राप्त हुई थी। जिसे एक कार के डिक्की में रखा गया था। वह शाम 7 बजे के करीब स्कूटी से घर जा रहे थे, तभी हंगरी एम्बेसी के पास एक कार ने उन्हें रोका। उसमें सवार एक व्यक्ति पुलिस की वर्दी में और दूसरा सिविल ड्रेस में था।

दोनों ने खुद को ईडी अधिकारी बताया और नकली सर्च वारंट दिखाकर तिवारी को पीटते हुए वापस शो-रूम ले गए। वहां उनसे कार की चाबी लेकर 30 लाख नकद निकाल लिए और फिर तिवारी को एनएच-8 के पास छोड़कर फरार हो गए। कुछ समय तक शो-रूम के मालिक को भी शक था कि कहीं असली छापा तो नहीं पड़ा, लेकिन जब किसी एजेंसी से संपर्क नहीं हुआ तो एफआईआर दर्ज करवाई गई।

पुलिस टीम ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से कार की पहचान की। वाहन की रजिस्ट्री से पता चला कि उसकी मालकिन की मृत्यु हो चुकी है और उसका इस्तेमाल सुनील कुमार तनेजा (46) कर रहा था। तनेजा को गुरुग्राम के वैश्णव एन्क्लेव से गिरफ्तार किया गया।

पूछताछ में उसने साजिश का खुलासा किया और अपने दो अन्य साथियों सुरज (22) और सुमित यादव (25) का नाम बताया। जिन्हें क्रमश 07 व 08 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया गया। जांच में पता चला है कि पकड़ा गया

सुमित यादव कर्ज से परेशान था। उसने ही शो-रूम में नकद होने की जानकारी तनेजा को दी। तनेजा, एक ड्राइवर है, जिसकी पहचान सुरज से पुरानी नौकरी के दौरान हुई थी। तीनों ने मिलकर नकली छापे की योजना बनाई।

नई दिल्ली जिले के डीसीपी देवेश कुमार महला ने कहा कि लोग किसी भी सरकारी अधिकारी या पुलिसकर्मी के नाम पर आने वालों से सतर्क रहें। उनका पहचान पत्र मांगे और ज़रा भी शक हो तो 112 पर तुरंत संपर्क करें। साथ ही कारोबारी संस्थानों को कर्मचारियों का बैकग्राउंड चेक अवश्य करना चाहिए।

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हिन्दुस्थान समाचार / कुमार अश्वनी