Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
लखनऊ,06 जुलाई (हि.स.)। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ बेसिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश के कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों का अन्य विद्यालयों में युग्मन (मर्जर) के खिलाफ है। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का कहना है कि विद्यालयों के मर्जर से विद्यालय बच्चों की पहुंच से दूर हो जायेंगे। इससे शिक्षा के अधिकार अधिनियम का अस्तित्व भी समाप्त हो जायेगा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधान का भी उल्लंघन है। महासंघ ने कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों का विलय करने के आदेश पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अजीत सिंह ने हिन्दुस्थान समाचार से रविवार काे कहा कि बेसिक शिक्षा के विद्यालयों में कम नामांकन का एक प्रमुख कारण इन विद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव, शिक्षकों की कमी से शिक्षा की गुणवत्ता का प्रभावित होना है।
अजीत सिंह ने बताया कि प्राथमिक विद्यालयों में कम नामांकन का एक प्रमुख कारण प्रवेश की न्यूनतम आयु छह वर्ष का होना है, क्योंकि आंगनबाड़ी केन्द्रों पर प्री प्राइमरी कक्षाओं का संचालन व्यावहारिक रूप से सफल नहीं है। पांच वर्ष की आयु पूर्ण कर बच्चे का प्रवेश प्राथमिक विद्यालयों में न होने से प्राइवेट विद्यालय आसानी से इन बच्चों का प्रवेश अपने यहां कर लेते हैं। उन्हाेंने कहा कि आज का बच्चा ही देश का भावी नागरिक है। इसलिए विद्यालयों को बंद करने के स्थान पर बेसिक शिक्षा में सुधार किये जाने की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने सरकार से मांग की है कि प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में पर्याप्त कक्षा कक्ष और जूनियर विद्यालय में तीन कक्षा कक्ष के साथ पृथक-पृथक पुस्तकालय, स्मार्ट क्लास रूम, लैब, भण्डार गृह, किचन एवं भोजनालय, खेल का मैदान हो। प्रत्येक कक्षा के लिए शिक्षक, स्थायी प्रधानाध्यापक, गणित, विज्ञान, अंग्रेजी व तकनीकी शिक्षा के लिए पृथक से विषय विशेषज्ञ शिक्षक एवं एक क्लर्क व एक अनुचर की नियुक्ति अनिवार्य रूप से की जाए, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रत्येक बच्चे के लिए सुलभ हो सके।--------------
हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन