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शिमला, 6 जुलाई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में हाल ही में हुई भीषण बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने व्यापक तबाही मचाई है। अनेक गांवों में घर, खेत और आधारभूत ढांचे तबाह हो गए हैं। प्रभावित परिवार बेघर हो गए हैं और जीवनयापन के लिए बुनियादी जरूरतों से जूझ रहे हैं। इस संकट की घड़ी में राजभवन शिमला से राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आपदा प्रभावितों की मदद के लिए तीन पिकअप राहत सामग्री रवाना की।
यह राहत सामग्री राज्य रेडक्रॉस सोसाइटी के माध्यम से मण्डी के जिला प्रशासन को भेजी गई है। राहत सामग्री में 540 कम्बल, 500 तिरपाल, 20 पेटी कपड़े, किचन सेट, बाल्टियां तथा अन्य आवश्यक घरेलू सामान शामिल हैं, जो आपदा प्रभावित परिवारों को त्वरित राहत प्रदान करने के उद्देश्य से भेजे गए हैं।
राज्यपाल ने कहा कि यह एक प्रारंभिक प्रयास है, जरूरत पड़ने पर भविष्य में और भी सामग्री भेजी जाएगी। उन्होंने प्रदेशवासियों और स्वयंसेवी संगठनों से अपील की कि वे आगे आकर पीड़ितों की मदद करें और इस मानवीय संकट को साझा जिम्मेदारी मानकर राहत कार्यों में योगदान दें।
राज्यपाल शुक्ल ने मंडी में आई भारी तबाही को सिर्फ प्राकृतिक नहीं, बल्कि मानवजनित आपदा भी बताया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार भारी मात्रा में लकड़ियां नदी-नालों में बहकर आई हैं, वह इस बात का प्रमाण है कि वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। उन्होंने तीखे शब्दों में चेतावनी दी कि अगर अब भी लोग आंखें मूंदे रहे और यही रवैया जारी रहा, तो हिमालय को बचा पाना असंभव होगा।
उन्होंने कहा कि वनों की अंधाधुंध कटाई और पर्यावरणीय असंतुलन के कारण ही आज प्रदेश प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल रहा है। मंडी और कुल्लू की स्थिति इसका जीवंत उदाहरण है। जो लोग आज भी यह कहते हैं कि कुछ नहीं हुआ, वे मानवता को शर्मसार कर रहे हैं। यदि वन काटने वालों में थोड़ी भी संवेदनशीलता बाकी है तो अब उन्हें हिमालय को बर्बाद करना बंद कर देना चाहिए।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा