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मंडी, 06 जुलाई (हि.स.)। वल्लभ राजकीय महाविद्यालय मंडी में एक दिवसीय अश्वगंधा कार्यशाला स्वास्थ्य संवर्धक का आयोजन एनएमपीबी, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के राष्ट्रीय जागरूकता अभियान के अंतर्गत किया गया। कार्यशाला में जिला मंडी के विभिन्न खंडों से उप निदेशक प्राथमिक एवं उच्च शिक्षा द्वारा नामित शिक्षकों ने भाग लिया। इसका उद्देश्य इन शिक्षकों को संसाधन व्यक्ति के रूप में तैयार करना था ताकि वे अश्वगंधा जड़ी-बूटियों का राजा की जानकारी छात्रों और समुदायों तक पहुंचा सकें।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. राजेश कुमार, जिला आयुष अधिकारी, मंडी ने अश्वगंधा की स्वास्थ्य संवर्धन में भूमिका, सुरक्षित उपयोग, मात्रा और ग्रामीण आय सृजन में आर्थिक संभावनाओं पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की शुरुआत प्राचार्य प्रो. संजीव कुमार के स्वागत भाषण से हुई। डॉ. तारा सेन ठाकुर मुख्य अन्वेषक ने अभियान की रूपरेखा प्रस्तुत की, इसकी आवश्यकता और प्रभावी क्रियान्वयन की रणनीतियों को साझा किया और अश्वगंधा से बने मूल्य संवर्धित उत्पादों का प्रदर्शन किया। जबकि सह-अन्वेषक प्रो. संजीत केंद्रीय विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश ने भारतीय पारंपरिक ज्ञान प्रणाली में अश्वगंधा की प्रासंगिकता विषय पर व्याख्यान दिया।
वहीं वाई.के. सेन कामाक्षा एग्री एंड फ्लोरी टेक, सुंदरनगर ने मृदा आवश्यकताएं, कृषि तकनीक और विपणन संभावनाओं पर जानकारी दी। उप प्राचार्य प्रो. रविंदर कुमार, डॉ. दीपाली अशोक, डॉ. संजय नरंग, डॉ. संजय कुमार और कुशल वर्मा कार्यशाला के दौरान मुख्य रूप से उपस्थित रहे और इस पहल को समर्थन प्रदान किया। कायशाला की आयोजक डा. तारा सेन ने बताया कि इस कार्यशाला में 100 प्रतिभागियां जिनमें 60 शिक्षक, 15 छात्र, 10 किसान, 15 शिक्षक एवं गैर-शिक्षक कर्मचारी मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में तीन कृषि तकनीक, विपणन और मूल्य संवर्धन पर तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। जबकि पांच सौ से ज्यादा अश्वगंधा के पौधों का स्कूलों में रोपण के लिए वितरण किया गया।इसके अलावा अश्वगंधा से बने बिस्कुट व स्नैक्स का वितरण भी किया गया।
हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा