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जयपुर, 4 जुलाई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने अलवर बालिका गृह की अव्यवस्थाओं और शेल्टर होम से बाहर निकले वयस्कों के लिए प्रावधान नहीं होने के संबंध में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान को अलवर बालिका गृह तक सीमित किया है। अदालत ने कहा कि बालिका गृह की किशोरियों की ओर से भेजे पत्र पर ही अदालत सुनवाई करेगी। इसके साथ ही अदालत ने मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर गुप्ता को अदालत का सहयोग करने के लिए न्यायमित्र नियुक्त किया है। सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस चंद्र प्रकाश श्रीमाली की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान अदालत ने अतिरिक्त महाधिवक्ता मनोज कुमार शर्मा को तीन सप्ताह में बताने को कहा है कि किशोरियों की ओर से भेजी गई शिकायत पर क्या कार्रवाई की गई है। यदि मामले में सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है तो अदालत मामले में कठोर रुख अपनाएगी। गौरतलब है कि अलवर बालिका गृह में रहने वाली किशोरियों की ओर से गत दिनों हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश को शिकायती पत्र भेजा था। जिसमें कहा गया था कि सरकारी अधिकारियों की निष्क्रियता के चलते उन्हें अनुदान मिलने में गंभीर चुनौतियां हो रही हैं। इसके साथ ही अधिकारियों पर प्रताडऩा का भी आरोप लगाया गया था। पत्र पर कार्रवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकलपीठ ने मामले में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया था। इसके साथ ही अदालत ने वयस्क होने पर शेल्टर होम छोड़ने वाले वयस्कों के लिए कोई प्रावधान नहीं होने के बिंदु पर भी केन्द्र व राज्य सरकार से जवाब तलब किया था। एकलपीठ ने कहा था कि शेल्टर होम में रहने वाले हजारों युवाओं को वयस्क होते ही बिना किसी पहचान, स्थाई पते और बिना सहारे बाहरी दुनिया में धकेल दिया जाता है। इसके साथ ही एकलपीठ ने मामले को जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई के लिए खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने को कहा था।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक