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सहरसा, 4 जुलाई (हि.स.)। बिहार प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ट नेता डॉ तारानंद सादा ने कहा कि भाजपा ने बिहार विधानसभा में अपनी पराजय देखकर चुनाव आयोग के सहारे गरीब,गुरबों को वोट से वंचित करने का प्लान बनाया है। वह भी यह सम्पूर्ण देश के बजाय सिर्फ बिहार में किया जा रहा है। चुनाव आयोग को सत्तारूढ़ पार्टी के इशारे पर नहीं वल्कि संविधान द्वारा निर्धारित अपनी सीमाओं के भीतर काम करना चाहिए और लोकतंत्र तथा मतदाताओं का ''गुलाम'' बनना चाहिए न कि भाजपा का गुलामी? एक महीने के भीतर किसी रूप में पुनरीक्षण संभव नहीं है और आयोग को हर नागरिक के वोट के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए।
उन्हाेंने कहा बिहार में सत्ता के इशारे पर हो रहा यह सब देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए ही नहीं हर एक मतदाता के लिए खतरा है और विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के बहाने लोकतंत्र की हत्या की जा रहीं है।आश्चर्य की बात है आयोग माता पिता का जन्म प्रमाण पत्र शैक्षणिक प्रमाण पत्र आदि मांग रहा है लेकिन आम आदमी की पहचान आधार का प्रचार करने वाली भाजपा सरकार में आयोग ने आधार को दस्तावेज नहीं माना है और न ही राशन कार्ड, मनरेगा जाब कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस को दस्तावेज माना है ।
चुनाव आयोग के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी जी का निशाने का शिकार अल्पसंख्यक मतदाताओं के साथ-साथ अनुसूचित जाति ,अत्यंत पिछड़ा वर्ग,मजदूरों बाहर रहनेवाले मध्यम वर्गों के युवा होंगे । भारतीय लोकतंत्र के संविधान द्वारा प्रदत राजा और रंक को समानता के एक वोट के अधिकार से बंचित करने की बहुत बडी साजिश है।
डॉ सादा ने कहा कि -चुनाव आयोग के इस निर्णय से 20 प्रतिशत वोट का प्रभावित होना निश्चिंत है l इससे आम आदमी को मिले मताधिकार का अधिकार का हनन के साथ-साथ देश के संविधान और लोकतंत्र पर कुठाराघात है । कॉंग्रेस पार्टी इसकी घोर निंदा करते हुए मतदाताओं से आगे आने की अपील करती है तथा सरकार और चुनाव आयोग से मांग करती है कि अपने तुगलकी फरमान को वापस लें वरना कांग्रेस सड़क से संसद तक इस फरमान के विरुद्ध लड़ाई लड़ेगी।
हिन्दुस्थान समाचार / अजय कुमार