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कोलकाता, 31 जुलाई (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू होने से पहले ही फर्जी मतदाता पंजीकरण के मामले सामने आने से चुनाव आयोग की चिंता बढ़ गई है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय के अनुसार, बिना वैध दस्तावेजों के 127 नए मतदाता पंजीकरण की पुष्टि हुई है। यह मामले पूर्व मेदिनीपुर जिले के मोयना और दक्षिण 24 परगना जिले के बारुइपुर पूर्व विधानसभा क्षेत्रों से जुड़े हैं।
इन 127 मामलों में से 87 मोयना से और 38 बारुइपुर पूर्व से दर्ज किए गए हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि ये दोनों क्षेत्र बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे नहीं हैं, फिर भी यहां इस तरह की अनियमितताएं सामने आई हैं। राज्य की कुल 294 विधानसभा सीटों में से सिर्फ दो में ही इतने फर्जी नाम पाए जाने से अधिकारियों की चिंता और बढ़ गई है।
सीईओ कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सीमावर्ती जिलों में इस तरह की फर्जी प्रविष्टियों की संख्या कहीं अधिक हो सकती है। पिछले दो हफ्तों में कई सीमावर्ती जिलों —जैसे कूचबिहार, अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, मालदा, उत्तर दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद, नदिया और उत्तर एवं दक्षिण 24 परगना —में फ़ॉर्म 6 के आवेदन में तेज़ वृद्धि देखी गई है। फ़ॉर्म 6 के माध्यम से नागरिक अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वाने का अनुरोध करते हैं।
इस संदर्भ में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को भारत निर्वाचन आयोग से मांग की कि वह इन मामलों की तत्काल जांच शुरू करे और उन निर्वाचक रजिस्ट्रेशन अधिकारियों (ईआरओ) के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे जो बिना दस्तावेज़ सत्यापन के फ़ॉर्म-6 स्वीकार कर रहे हैं। अधिकारी ने इसे लोकतंत्र के साथ धोखा करार दिया।
इस बीच, सीईओ कार्यालय ने इस सप्ताह एक मेमो जारी कर ईआरओ द्वारा फर्जी मतदाताओं के फ़ॉर्म-6 स्वीकार करने की पुष्टि की है। अधिकारियों का मानना है कि यह स्थिति आगामी एसआईआर से पहले सतर्कता बढ़ाने की ज़रूरत को दर्शाती है।
दरअसल राज्य में मतदाता सूची का विशेष सघन पुनरीक्षण कार्यक्रम जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर