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रांची, 31 जुलाई (हि.स.)। सरना झंडे की स्थापना को लेकर गुरुवार को बिरसा मुंडा समाधि स्थल के सामने रांची में आदिवासी समाज के दो पक्ष आमने-सामने हो गए। एक पक्ष इसे पारंपरिक आस्था और जमीन की रक्षा से जोड़ रहा है, जबकि दूसरा पक्ष इसे झूठी आस्था के नाम पर जमीन कब्जा करने की साजिश बता रहा है।
केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की पर झंडा गाड़ने और समाज में फूट डालने के आरोप लगाया गया है। निशा भगत ने सीधे तौर पर तिर्की को दलाली करने वाला बताते हुए कहा कि झंडा का अपमान सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि झंडा पारंपरिक पुजारी के हाथों ही स्थापित होना चाहिए, न कि किसी दलाल के माध्यम से। सोमा उरांव ने झंडा के गलत इस्तेमाल की बात उठाते हुए कहा कि पूजा स्थलों पर श्रद्धा (सरना) के लिए झंडा लगाया जाता है, लेकिन अब कुछ लोग इसे जमीन कब्जाने के हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।
कानूनी कार्रवाई की मांग की
उन्होंने दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की।
वहीं अजय तिर्की ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ईसाई और सरना परिवार वर्षों से मिलजुल कर रह रहे हैं। झंडा इसलिए लगाया जा रहा है, ताकि बिल्डर माफिया जमीन पर कब्जा न कर सकें। इसकी शिकायत थाना में भी दी गई है। अरगोड़ा मौजा के पाहन (परंपरागत पुजारी) शिबू पाहन ने दावा किया कि बिना शुद्धिकरण के झंडा उखाड़ा गया है, जो परंपरा के खिलाफ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उनका परिवार पीढ़ियों से उसी जमीन पर रह रहा है और अब जमीन बचाने के लिए ही झंडा स्थापित किया गया है।
दो आदिवासी गुट आमने-सामने
कोकर समाधि स्थल के सामने केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की के गुट के सैकड़ों लोग जमीन बचाने के लिए सरना झंडा स्थापित करने पहुंचे।
वहीं इसके विरोध में जेएलकेएम नेता निशा भगत, सोमा उरांव, मेघा उरांव सहित दर्जनों आदिवासी संगठनों के लोग सरना झंडा स्थापना का विरोध किया। इस दौरान दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए। निशा भगत ने कहा कि सरना झंडा पूजा स्थलों पर ही लगाया जाना चाहिए।
वहीं दोनों पक्षों के बीच हो रहे हंगामे को देखते हुए लालपुर थाना के कई महिला पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak