सुप्रीम कोर्ट की समिति ने सड़क सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने और लोगों की जान बचाने का किया आह्वान
जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने की मुख्य सचिव अनुराग जैन के साथ सड़क सुरक्षा को लेकर बैठक


- सड़क दुर्घटना में प्रतिवर्ष होती है करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत, उनका जीवन बचाने के लिए मप्र से की है मिशन की शुरुआतः जस्टिस सप्रेभोपाल, 31 जुलाई (हि.स.)। उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे ने सड़क सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का आह्वान किया है। उन्होंने गुरुवार को भोपाल प्रवास के दौरान मुख्य सचिव अनुराग जैन के साथ सड़क सुरक्षा को लेकर बैठक की।

जस्टिस सप्रे ने बैठक में उपस्थित समस्त अधिकारियों से आम आदमी के जीवन को सुरक्षित रखने का दायित्व निभाने की अपील भी की। उन्होंने सड़क सुरक्षा की गंभीरता के दृष्टिगत अधिकारियों को सलाह और मार्गदर्शन भी दिया। उन्होंने कहा कि स्वीडन में सड़क सुरक्षा को लेकर बहुत अच्छा काम हुआ है। वैसा काम हम हमारे देश और मध्य प्रदेश में भी कर सकते हैं। सड़क दुर्घटना से प्रतिवर्ष लगभग डेढ़ लाख लोगों की मृत्यु होती है। उनके जीवन को बचाने के लिए मिशन की शुरुआत मध्य प्रदेश से की है।

उन्होंने बताया कि रोड सेफ्टी की मैदानी स्थिति जानने के लिए वे सड़क से ही अपनी यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश के लिए दीर्घकालीन एवं तात्कालिक नीति तैयार की जाकर क्रियान्वयन किया जाये। अच्छे काम करने वालों को प्रोत्साहित किया जाये तथा खराब सड़क बनाने वालों को ब्लैक लिस्ट करें। सड़कों पर इतनी सुरक्षा होनी चाहिये कि एक भी व्यक्ति की जान नहीं जाये। जस्टिस सप्रे ने अधिकारियों से कहा कि लोगों की जान बचाने की आपको जिम्मेदारी दी गयी है और इस कार्य पर उच्चतम न्यायालय पूरे समय ध्यान दे रहा है।

जस्टिस सप्रे ने कहा कि जैसे मध्य प्रदेश के इंदौर ने स्वच्छता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है, वैसे ही प्रदेश के शहर सड़क सुरक्षा में अपना स्थान बनाएंगे। उन्होंने उम्मीद व्यक्त की है कि प्रदेश के अधिकारी लोगों की जान बचाने के लिए अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करेंगे।

प्रदेश के सभी 55 जिलो में लागू होंगे सड़क सुरक्षा के उपाय : मुख्य सचिव

बैठक में मुख्य सचिव अनुराग जैन ने कहा कि भारत सरकार की ही तरह तात्कालिक एवं दीर्घकालीन उपाय प्रदेश के सभी 55 जिलों में लागू किये जाएंगे। प्रदेश के नौ जिलों में सड़क सुरक्षा के लिए आईआईटी मद्रास की मदद ली जाएगी और बाद में 6 और जिलों में यह किया जायेगा। सड़क सुरक्षा के लिए सभी एजेंसियों में समन्वय स्थापित किया जायेगा। पुलिस, नगरीय प्रशासन, स्वास्थ्य एवं लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की टीम बनायी गयी है। इंजीनियरों को केपिसिटी बिल्डिंग के लिए प्रशिक्षण दिया जायेगा तथा सड़कों एवं ब्रिज की मरम्मत की जायेगी।

उन्होंने कहा कि हर जिले मे आटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशन शुरू किया जायेगा। ड्राइविंग इंस्टीट्यूट की संख्या बढ़ायी जायेगी। यातायात नियमों का पालन कराया जायेगा। लोगों को हेलमेट लगाने के लिए प्रेरित किया जायेगा। सभी वाहनों का इंश्योरेंस किया जायेगा। चालान जनरेशन एवं पेमेंट सिस्टम दुरूस्त किया जायेगा। सड़क दुर्घटना में गोल्डन ऑवर में जान बचाने के प्रयास किये जायेंगे। एम्बुलेंस की व्यवस्थाएं सुधारी जायेंगी। इमरजेंसी रिस्पांस टाइम को बेहतर किया जायेगा। यातायात नियमों एवं सड़क सुरक्षा की जागरूकता के लिए स्कूलों में बताया जायेगा। जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठकें नियमित तौर पर आयोजित की जायेंगी। सड़क सुरक्षा कोष का उपयोग किया जायेगा। राहवीर योजना का भी व्यापक प्रचार-प्रसार करने की भी जानकारी दी गई।

मुख्य सचिव जैन ने जस्टिस अभय मनोहर सप्रे को आश्वस्त किया कि मध्य प्रदेश के अधिकारी उनके निर्देश और मार्गदर्शन से बेहतर कार्य करेंगे। एक्शन प्लान से सड़क दुर्घटनाओं तथा मृत्यु में कमी लाने के प्रयास सफल हो सकेंगे। नोडल अधिकारी एवं परिवहन आयुक्त विवेक शर्मा ने राज्य के एक्शन प्लान का प्रस्तुतीकरण किया।

बैठक में प्रमुख सचिव संदीप यादव, परिवहन सचिव मनीष सिंह, गृह सचिव कृष्णा वेणी-देशावतु, पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, नगरीय विकास, स्कूल शिक्षा, लोक निर्माण, मध्यप्रदेश सड़क निगम विकास निगम, एवं रेल्वे के अधिकारी उपस्थित रहे।

समिति करेगी जिलों का भ्रमण-

इस अवसर पर बताया कि उच्चतम न्यायालय सड़क सुरक्षा समिति भोपाल, नर्मदापुरम एवं नरसिंहपुर जिलों का भ्रमण कर जिला सड़क सुरक्षा समिति के साथ बैठक करेगी। इसके पूर्व समिति ने इंदौर जिले का भ्रमण कर बैठक की थी।----------

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर