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अररिया 31 जुलाई(हि.स.)। फारबिसगंज के प्रोफेसर कॉलोनी स्थित पीडब्ल्यूडी के प्रांगण में इंद्रधनुष साहित्य परिषद की ओर से गुरुवार को हिंदी साहित्य के दो महान विभूति गोस्वामी तुलसीदास और उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती एक साथ मनाई गई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व बीईओ प्रमोद कुमार झा उपस्थित थे। सर्वप्रथम उपस्थित सज्जनों के द्वारा दोनों महान विभूति की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर नमन किया गया।
पूर्व बीईओ प्रमोद कुमार झा ने कहा कि संत तुलसीदास मध्यकालीन हिंदी साहित्य के एक महान राम भक्त कवि थे। इन्होंने रामचरितमानस और हनुमान चालीसा जैसे विश्व प्रसिद्ध ग्रंथों की रचना की। इसके अलावा उन्होंने संस्कृत,अवधी और ब्रजभाषा में अनेक रचनाएं की। लोक भाषा होने के कारण अवधी में लिखी रामचरितमानस को अत्यंत लोकप्रियता मिली। वाराणसी में उन्होंने संकट मोचन हनुमान मंदिर की स्थापना की।
ऐसी मान्यता है कि इस जगह पर तुलसीदास को हनुमानजी ने साक्षात दर्शन दिया था। उपन्यास सम्राट प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 में वाराणसी के समीप लमही नामक गांव में हुआ था। वह हिंदी और उर्दू के लोकप्रिय उपन्यासकार , कहानीकार और विचारक थे। उन्होंने कर्मभूमि, रंगभूमि, सेवा सदन, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास और लगभग तीन सौ कहानियां लिखी। इनमें से अधिकांश का प्रकाशन हिंदी और उर्दू दोनों में हुआ। उनकी रचनाओं में दहेज, छुआछूत, पराधीनता, विधवा विवाह, जाति प्रथा जैसे अनेक समस्याओं का सजीव चित्रण किया गया है। 8 अक्टूबर 1936 को वाराणसी में ही उनका निधन हो गया।
इस अवसर पर प्राथमिक विद्यालय तोप नवाबगंज (अंचरा), नरपतगंज के शिक्षक युगल किशोर पोद्दार को पुस्तक आदि प्रदान कर सम्मानित किया गया। मौके पर शिवनारायण चौधरी, पुरुषोत्तम प्रसाद चौधरी, रावनेश्वर प्रसाद, शिवराम साह, पलक धारी मंडल, शिव शंकर तिवारी, सच्चिदानंद सिंह, सीताराम बिहारी सहित अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल कुमार ठाकुर