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अनूपपुर, 31 जुलाई (हि.स.)। मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय,अमरकंटक में गुरुवार को हिंदी साहित्य के अमर कथा शिल्पी प्रेमचंद की 145वीं जयंती के अवसर पर ‘प्रेमचंद का कथा साहित्य और समकालीन सन्दर्भ’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें प्रेमचंद के कथा साहित्य पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए मुख्य वक्ता महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय,वर्धा, महाराष्ट्र के पूर्व कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह ने लेखकीय समग्रता में प्रेमचंद को मानवीय मूल्यों का पक्षधर लेखक कहा। प्रो.सिंह ने कहा कि प्रेमचंद ने औपनिवेशिक सत्ता के दौर में बड़ी निडरता और निष्पक्षता के साथ देश की स्वाधीनता और मनुष्य की मुक्तिगामी चेतना का जोरदार आह्वान किया। प्रेमचंद की लेखनी जहाँ भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन की चेतना को आगे बढ़ाती हैं वहीं उनकी पत्नी शिवरानी देवी सक्रिय रूप से देश की आजादी में भाग लेती हैं और जेल भी जाती हैं।
प्रेमचंद ने अनेक विधाओं में लेखन किया लेकिन कथा साहित्य में उन्होंने जो महारथ हासिल की उसका कोई सानी नहीं हैं। उन्होंने हंस, जागरण, मर्यादा और स्वदेश नामक पत्रिका क सम्पादन भी किया। महात्मा गाँधी के प्रभाव में उन्होंने सरकारी नौकरी को छोड़ दिया और पूरी तरह से अपने रचनात्मक लेखन के माध्यम से भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को आगे बढ़ाया, जिसका प्रभाव उनके पूरे साहित्य पर दिखाई देता हैं। स्वतंत्रता आन्दोलन के समय को प्रेमचंद जीवन संग्राम का समय मानते थे और उनका कहना था कि इस लड़ाई को कोई भी शिक्षित कहलाने वाला व्यक्ति तटस्थ होकर नहीं देख सकता हैं। प्रेमचंद की बात को ही आगे दिनकर जी ने काव्यात्मक रूप से अभिव्यक्त किया कि ‘जो तटस्थ हैं समय लिखेगा, उनका भी अपराध।’ लेखक और शिक्षित समाज का धर्म है कि वह हर हाल में मनुष्यता के पक्ष में खड़ा रहे जैसे प्रेमचंद तमाम चुनौतियों के बावजूद भी आम आदमी के पक्ष में खड़े रहें।
कार्यक्रम की अध्यक्षताकर रहें इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.ब्योमकेश त्रिपाठी ने प्रेमचंद के साहित्य में ऐतिहासिक सन्दर्भों को समाहित करते हुए साहित्य और इतिहास चेतना के विशद अंतर्संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समाज के शिक्षित वर्ग को प्रेमचंद के जैसे ही यथार्थवादी साहित्य लिखने और सच बोलने की जरुरत हैं। अनेक ऐतिहासिक सन्दर्भों और इतिहास दृष्टियों के बीच कुलपति ने प्रेमचंद की राष्ट्रीयता को भी रेखांकित किया।
कार्यक्रम में मानविकी एवं भाषा शास्त्र संकाय की अध्यक्ष प्रो.रेनू सिंह ने विषय प्रवर्तन किया और हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो.जितेन्द्र कुमार सिंह ने स्वागत वक्तव्य दिया। संयोजन एवं संचालन हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ.वीरेंद्र प्रताप, धन्यवाद हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ.प्रवीण कुमार ने किया। इस अवसर पर हिंदी विभाग के वरिष्ठ आचार्य एवं अटल बिहारी बाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल के पूर्व कुलपति प्रो. खेमसिंह डहेरिया,डॉ.पूनम पाण्डेय अन्य विभागों के अध्यक्ष एवं संकाय सदस्य सहित बड़ी संख्या में शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहें।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश शुक्ला