मंडलीय मेडिकल बोर्ड से अपील खारिज होने के बाद दोबारा मेडिकल परीक्षा का कोई प्रावधान नहीं : उच्च न्यायालय
इलाहाबाद हाईकाेर्ट


प्रयागराज, 30 जुलाई (हि.स.)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल सेवा नियमावली, 2015 के तहत मंडलीय मेडिकल बोर्ड द्वारा अपील खारिज होने के बाद पुनः मेडिकल जांच कराने का कोई प्रावधान नहीं है।

न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने कहा, “सेवा नियमों के तहत, निःसंदेह, लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उम्मीदवार को मेडिकल बोर्ड द्वारा चिकित्सा परीक्षण से गुजरना पड़ता है। हालांकि, सम्भागीय चिकित्सा बोर्ड के समक्ष अपील खारिज होने के बाद पुनः परीक्षा का कोई प्रावधान नहीं है। यदि इसकी अनुमति दी जाती है, तो यह प्रक्रिया अंतहीन होगी और चयन कभी अंतिम रूप नहीं ले पाएगा।“

याची-अपीलकर्ता मयंक चौधरी ने संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सिविल पुलिस में कांस्टेबल के पद पर नियुक्ति हेतु पुनः चिकित्सा परीक्षण कराने का अनुरोध किया था। उसने प्रारम्भिक लिखित परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी और शारीरिक परीक्षण में उसे फिट घोषित किया गया था। हालांकि, मुख्य लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद, मेडिकल बोर्ड ने याची को अयोग्य घोषित कर दिया। याची ने मंडलीय चिकित्सा बोर्ड के समक्ष अपील दायर की, जहां पुनः जांच के बाद उसे अयोग्य पाया गया। याची ने पुनः जांच के लिए एक और आवेदन दायर किया, लेकिन उसे भी अस्वीकार कर दिया गया। याची द्वारा दायर रिट याचिका खारिज कर दी गई। इसके बाद उसने विशेष अपील दायर की थी।

उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल एवं हेड कांस्टेबल सेवा नियमावली, 2015 के नियम 15(6) में अभ्यर्थी के चिकित्सा परीक्षण का प्रावधान है। नियम 15(6)(ई) में प्रावधान है कि अभ्यर्थी द्वारा अपने चिकित्सा परीक्षण के सम्बंध में दायर अपील पर मंडलीय चिकित्सा बोर्ड का निर्णय अंतिम एवं अभ्यर्थी पर बाध्यकारी होगा तथा इसके विरुद्ध किसी अपील पर विचार नहीं किया जाएगा। यह मानते हुए कि मंडलीय मेडिकल बोर्ड द्वारा अपील खारिज किए जाने के बाद दूसरी मेडिकल जांच का कोई प्रावधान नहीं था। हाईकोर्ट की विशेष अपील बेंच ने एकल न्यायाधीश के आदेश को बरकरार रखा और अपील खारिज कर दी।

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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे