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- कई गांवों में पहुंचा बाढ़ का पानी, सैंकड़ों ग्रामीण घरों को छोडक़र अन्यत्र पहुंचे
मुरैना, 29 जुलाई (हि.स.)। कोटा बैराज से लगातार पानी छोड़े जाने एवं अंचल में हो रही बारिश का असर चंबल नदी में देखने को मिल रहा है। बुधवार को राजघाट पुल पर चंबल नदी का जल स्तर खतरे के निशान 138 मीटर को पार कर गया। बुधवार की शाम 7 बजे चंबल का जल स्तर 141.7 मीटर पर पहुंच गया था। राजघाट के पुराने पुल से होकर पानी निकलने लगा। जिस वजह से चंबल किनारे के कई गांवों में बाढ़ का पानी आ गया। जिस वजह से सैंकड़ों ग्रामीणों को अन्यत्र भेजा गया। ग्रामीणों ने अपने जरूरी सामान एवं मवेशियों के साथ अन्य स्थानों पर डेरा डाल लिया है। उधर जिलाधीश सहित अन्य अधिकारियों ने आज बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा किया तथा विस्थापन की व्यवस्थाऐं देखीं। उधर अब यह आशंका भी जताई जा रही है कि अगर चंबल नदी का पानी और बढ़ा तो स्थिति खतरनाक हो सकती है। जिले के लगभग एक सैंकड़ा गांव बाढ़ में डूब सकते हैं।
उल्लेखनीय है कोटा बैराज से चंबल नदी में लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। इसके अलावा श्योपुर जिले में स्थित पार्वती नदी भी उफान पर है। इसका असर मुरैना जिले में चंबल नदी में देखा जा रहा है। चंबल नदी का जल स्तर बुधवार की सुबह खतरे के निशान को पार कर गया। जिस वजह से चंबल के पुराने पुल से आवागमन पूरी तरह बंद करना पड़ा। उधर चंबल नदी के खतरे के निशान को पार करने के चलते सबलगढ़, अंबाह, मुरैना एवं पोरसा क्षेत्र के कई गांवों में पानी आ गया है। सबलगढ़ के कैमराकला, गौदोली, राड़ी, रैजा का पुरा, महजा, कलरघटी, मदन का पुरा, बंशी का पुरा आदि में पानी आ गया। इसी प्रकार अंबाल तहसील के रतन बसई, बीलपुर, कुथियाना, बलदेव का पुरा, बिहार का पुरा, इंद्रजीत का पुरा, बिचपुरी, लुधावली, उसैद, रामगढ़, चुसलई, दीवानी का पुरा आदि गांवों में पानी आ गया। इसके अलावा मुरैना क्षेत्र के भानपुर, रिठौरा खुर्द, पटेल का पुरा, भोला का पुरा, कोशा का पुरा, जैतपुर, दधिराम का पुरा, रघुवीर पुरा आदि गांव बाढ़ की चपेट में आए हैं।
उधर बुधवार को जैसे ही चंबल किनारे के गांवों में बाढ़ का पानी आया वैसे ही प्रशासन हरकत में आया और जिलाधीश सहित अन्य अधिकारियों ने ग्रामीण क्षेत्रों की ओर रुख किया। राजस्व विभाग का अमला ग्रामीणों को उंची जगहों पर ले गए। ग्रामीणों को सरकारी विद्यालयों व पंचायत भवनों में ठहराया गया है। ग्रामीण अपने घरों पर ताला डालकर तथा जरूरी सामान लेकर अन्यत्र रवाना हो गए हैं। ग्रामीणों को सबसे अधिक परेशानी पशु चारे को लेकर आ रही है। क्यों कि घरों में भरे भूसा को एकदम से भरकर नहीं ले जाया जा सकता। उधर खेत खलिहान में बाढ़ का पानी भरने से पशुओं को अब चरने के लिए भी नहीं भेजा जा सकता।
हिन्दुस्थान समाचार / शरद शर्मा