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पलवल, 30 जुलाई (हि.स.)। पलवल जिले में एक निजी अस्पताल की लापरवाही ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। फिरोजपुर गांव निवासी एक दंपति के नवजात बेटे को अस्पताल प्रशासन ने मृत घोषित कर परिजनों को सौंप दिया, लेकिन जब परिवार अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहा था, तभी पता चला कि बच्चा जीवित है। सांसें चल रही थी। यह सब देखकर शोक में डूबा परिवार हैरान रह गया।
फिरोजपुर गांव निवासी अमर ने बताया कि उसकी पत्नी मनीषा सात माह की गर्भवति थी। 28 जुलाई को तबीयत बिगड़ने पर उसे पलवल के गुरु नानक अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां मनीषा ने एक प्रीमैच्योर बच्चे को जन्म दिया। डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया और तीन घंटे तक कुछ औपचारिकताओं का हवाला देकर शव सौंपने में देरी की। शाम को जब नवजात को कपड़े में लपेटकर परिजनों को सौंपा गया, तो अमर ने देखा कि बच्चे की सांसें चल रही हैं, हृदय गति महसूस हो रही है और हाथ-पैर भी हिल रहे हैं। स्थिति को समझते हुए अमर बच्चे को तुरंत एक अन्य निजी अस्पताल लेकर गया, जहां डॉक्टरों ने उसे भर्ती कर इलाज शुरू किया। फिलहाल नवजात की हालत स्थिर बताई जा रही है। अमर का आरोप है कि अस्पताल की लापरवाही से बच्चे के हाथ में फ्रैक्चर भी हो गया है और शरीर नीला पड़ गया था।
परिजनों ने इस मामले की शिकायत पलवल कैम्प थाना और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय में की है। डीएसपी (क्राइम) मनोज कुमार वर्मा ने शिकायत मिलने की पुष्टि करते हुए कहा कि जांच प्रारंभ कर दी गई है। उन्होंने बताया कि नवजात मात्र 600 ग्राम का था और करीब 25 सप्ताह का था। विशेषज्ञ डॉक्टरों से राय लेने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
गुरु नानक अस्पताल के संचालक डॉ. अनूप सिंह और गायनोकोलॉजिस्ट डॉ. तनु वर्मा ने बुधवार को सफाई देते हुए कहा कि मनीषा की हालत गंभीर थी और बच्चा बेहद असमय (प्रीमैच्योर) जन्मा था। डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने परिवार को बताया था कि नवजात के जीवित रहने की संभावना बेहद कम है, लेकिन उन्होंने उसे मृत घोषित नहीं किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / गुरुदत्त गर्ग