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नई दिल्ली, 30 जुलाई (हि.स.)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या उसे फिल्म उदयपुर फाइल्स में बदलाव करने का अधिकार है। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सिनेमैटोग्राफिक एक्ट की धारा 6 के तहत पुनर्विचार की शक्तियों के तहत क्या सरकार फिल्म में कट कर सकती है। मामले की अगली सुनवाई 01 अगस्त को होगी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सिनेमैटोग्राफिक एक्ट की धारा 6 के तहत केंद्र को पुनर्विचार याचिका पर फैसला करने का अधिकार है, लेकिन केंद्र सरकार कानून के बाहर जाकर फैसला नहीं कर सकती है। इस पर केंद्र की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि उच्च न्यायालय के 10 जुलाई के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी। तब उच्च न्यायालय ने कहा कि 10 जुलाई के आदेश के बाद केंद्र की ओर से आदेश की जरुरत नहीं थी। उच्चतम न्यायालय के आदेश में भी केंद्र के आदेश पर कुछ नहीं कहा गया है।
सुनवाई के दौरान कन्हैलाल मर्डर केस के आरोपित मोहम्मद जावेद की ओर से पेश वकील मेनका गुरुस्वामी ने फिल्म की रिलीज का विरोध करते हुए कहा कि फिल्म की रिलीज से निष्पक्ष ट्रायल पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में अभी 160 गवाहों के बयान दर्ज नहीं किए जा सके हैं। उन्होंने कहा कि अगर फिल्म रिलीज की जाती है, तो ये 1800 थियेटर में देखा जाएगा और हर नागरिक, हर जज, हर कोर्ट मास्टर और इस मामले का हर गवाह इससे प्रभावित होगा।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
हिन्दुस्थान समाचार / सुनीत निगम