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प्रयागराज, 30 जुलाई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 25 मई 2025 को जारी अध्यादेश को श्री बांके बिहारी व दो अन्य की तरफ से याचिका दाखिल कर इस आर्डिनेंस को चुनौती दी गई है। कहा गया है कि सरकार इस अध्यादेश से श्री बांके बिहारी मंदिर पर अपरोक्ष रूप से कब्जा करना चाह रही है। याचिका पर वृहस्पतिवार को उच्च न्यायालय के दो जजों की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई होगी।
याचिका दाखिल कर सरकार की मंदिर को लेकर मंशा पर आशंका जताई गई है। याचिका में इस सम्बंध में उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेशों का भी जिक्र किया गया है। कहा गया है कि बांके बिहारी मंदिर पर सरकार की नीयत ठीक नहीं है। कहा गया है कि बांके बिहारी का मंदिर उनके सेवायतों का निजी मंदिर है। मंदिर पर उनका अधिकार है। सेवायत अपने-अपने निर्धारित समय पर भगवान की सेवा करते हैं। सिविल कोर्ट का फैसला भी उनके पक्ष में है।
याचिका में अध्यादेश को विभिन्न आधारों पर चुनौती दी गई है। कहा गया है कि सरकार इस अध्यादेश को लाकर मंदिर में अपना नियंत्रण रखना चाह रही है। उनके अधिकारी इस आर्डिनेंस के मार्फत अपना नियंत्रण स्थापित करना चाह रहे हैं। कहा गया कि सरकार द्वारा लाया गया यह अध्यादेश असंवैधानिक है। याचिका में अध्यादेश को असंवैधानिक करार कर इसे निरस्त करने की मांग की गई है। याचिका पर उच्च न्यायालय के दो जजों की खंडपीठ 31 जुलाई को सुनवाई करेगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे