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खूंटी, 3 जुलाई (हि.स.)। कोईल कारो जनसंगठन के तत्वावधान में विस्थापन के खिलाफ संघर्ष की 30 वीं वर्षगांठ शनिवार को तपकरा शहीद स्मारक स्थल के समीप विजय संकल्प दिवस के रूप में मनाई जाएगी। यह जानकारी जन संगठन के अध्यक्ष सोमा मुंडा, महासचिव सहदेव बड़ाईक और कोषाध्यक्ष मसीहदास गुड़िया ने संयुक्त बयान जारी कर दी।
बताया गया कि पांच जुलाई 1995 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और संयुक्त बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की ओर से कोईल कारो पनबिजली परियोजना का शिलान्यास किया जाना था। इस विनाशकारी परियोजना से 255 गांव विस्थापित होने वाले थे। 70 के दशक में भारत सरकार की ओर से इस परियोजना के निर्माण पर नीतिगत निर्णय लिया गया था। समय-समय पर भारी जन प्रतिकार विशेष कर झारखण्ड पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष एन ई होरो के विरोध के कारण बांध निर्माण प्रारम्भ नहीं किया जा सका था।
लेकिन, कांग्रेस - राजद गठबंधन की झारखंड विरोधी मानसिकता ने शिलान्यास का निर्णय लेकर झारखंड ताकत को झकझोरने का काम किया था। इसमें कांग्रेस-राजद गठबंधन को मुंह की खानी पड़ी थी। जब डूब क्षेत्र के हजारों आदिवासी एवं मूलवासियों ने सड़क पर उतर कर एकजुटता दिखाई थी।
विरोध स्वरूप पूरे डूब क्षेत्र में जनता कर्फ्यू लगा दिया गया। ग्रामीणों का आक्रोश इस हद तक उबाल में था कि प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री का हेलीकाप्टर को भी उतरने नहीं देने का संकल्प लिया गया था। इसी जनआक्रोश के दबाव में तत्कालीन केंद्र सरकार और बिहार सरकार को परियोजना निर्माण के निर्णय से पीछे हटना पड़ा।
वर्तमान समय में इस विनाशकारी पनबिजली परियोजना का निर्माण कार्य तो रुका हुआ है। किन्तु, नीतिगत रूप से रद्द नहीं किया गया है, इसलिए हर वर्ष पंच जुलाई को कोईल कारो जनसंगठन के तत्वाधान में विजय संकल्प दिवस का आयोजन किया जाता है। इस आयोजन में सर्वप्रथम तपकरा गोलीकांड के शहीदों को पारम्परिक तरीके से श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी और बाद में जनसभा होगी, जिसमें डूब क्षेत्र के सभी पारम्परिक ग्राम सभा के अगुवा सहित हजारों ग्रामीण उपस्थित रहेंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल मिश्रा