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जयपुर, 3 जुलाई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में हीट वेव के हालातों सहित जलवायु परिवर्तन को लिए लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान को निस्तारित कर दिया है। अदालत ने कहा कि मामले में सरकार की ओर से पेश जवाब को ध्यान में रखते हुए प्रकरण को आगे जारी रखना उचित नहीं है। सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस मनीष शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश मामले को निस्तारित करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान एक एनजीओ की ओर से पक्षकार बनने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया। इस पर अदालत ने प्रार्थना पत्र भी खारिज कर दिया। गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने गत 17 अप्रैल को प्रदेश में हीट वेव के हालातों और जलवायु परिवर्तन को लिए स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया था। इसके साथ ही अदालत ने मामले में केंद्र और राज्य सरकार के जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब तलब किया था। वहीं प्रकरण को जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई के लिए खंडपीठ के समक्ष भेजा था। खंडपीठ में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से मामले में उठाए गए कदमों को लेकर जानकारी पेश की। जिससे संतुष्ठ होकर खंडपीठ ने प्रकरण का निस्तारण कर दिया। इससे पूर्व अदालत ने पूर्व में समान बिंदु पर लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान को यह कहते हुए निस्तारित कर दिया था कि एक ही बिंदु पर दो याचिकाओं पर सुनवाई उचित नहीं है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक