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शिमला, 03 जुलाई (हि.स.)। राजधानी शिमला में भारी वर्षा अब कहर बरपा रही है। शहर के ढली क्षेत्र के लिंडीधार गांव में गुरूवार को भूस्खलन हुआ। यहां फोरलेन निर्माण के तहत बनाए जा रहे डंगे (रीटेनिंग वॉल) का एक बड़ा हिस्सा भारी बारिश के बीच भरभराकर ढह गया, जिससे दर्जनों सेब के पौधे मलबे में दब गए और फोरलेन साइट के नीचे स्थित कम से कम पांच मकान खतरे की जद में आ गए हैं। मलबा और मिट्टी का भारी दबाव देखकर लोग जान बचाकर घरों से बाहर निकल भागे।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कई दिनों से डंगे की स्थिति खराब बनी हुई थी और इसकी बार-बार शिकायतें भी संबंधित अधिकारियों को की गई थीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब जब डंगे का बड़ा हिस्सा अचानक गिरा है तो इसके नतीजे बेहद खतरनाक हो सकते हैं।
गौरतलब है कि इसी इलाके के भट्टाकुफर क्षेत्र में तीन दिन पहले एक पांच मंजिला भवन भी गिर गया था। हालांकि उस घटना में कोई जानी नुकसान नहीं हुआ, लेकिन मकान मालिक का आरोप है कि फोरलेन निर्माण कार्य के कारण उनके घरों में दरारें आईं, जो भवन गिरने का कारण बनीं। इलाके के अन्य लोगों ने भी यही आरोप लगाए हैं। अब लिंडीधार में हुई ताजा घटना ने इन आरोपों को और बल दे दिया है।
इस पूरे प्रकरण में फोरलेन निर्माण एजेंसी और एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। भट्टाकुफर भवन हादसे के बाद स्थिति इतनी बिगड़ी कि एनएचएआई के एक अधिकारी ने राज्य सरकार के एक कैबिनेट मंत्री पर मारपीट का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवा दी थी। जवाब में स्थानीय लोगों ने भी एनएचएआई अधिकारी के खिलाफ दुर्व्यवहार और रास्ता रोकने की शिकायत की थी।
इस बीच शिमला और आसपास के क्षेत्रों में गुरूवार को भी तेज बारिश जारी रही। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के लिए और भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा