उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को शिकायतकर्ता को पांच लाख की राशि अदा करने के दिये आदेश
धर्मशाला, 03 जुलाई (हि.स.)। धर्मशाला स्थित जिला उपभोक्ता आयोग की अदालत ने एक अहम फैसले में जनरल इंश्योरेंस कंपनी द्वारा शिकायतकर्ता उपभोक्ताओं को पांच लाख रुपए की बीमा राशि समान रूप से अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके साथ ही बीमा कंपनी द्वारा उपभोक्
उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को शिकायतकर्ता को पांच लाख की राशि अदा करने के दिये आदेश


धर्मशाला, 03 जुलाई (हि.स.)। धर्मशाला स्थित जिला उपभोक्ता आयोग की अदालत ने एक अहम फैसले में जनरल इंश्योरेंस कंपनी द्वारा शिकायतकर्ता उपभोक्ताओं को पांच लाख रुपए की बीमा राशि समान रूप से अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके साथ ही बीमा कंपनी द्वारा उपभोक्ताओं को 25 हजार रुपए हर्जाना और 10 हजार रुपए वाद व्यय के रुप में भी अदा करने होंगे।

वीरवार को आयोग के अध्यक्ष हेमांशु मिश्रा, सदस्य आरती सूद व नारायण ठाकुर की अदालत ने यह फैसला सुनाते हुए आदेश जारी किए। आयोग ने यह भी आदेश दिए हैं कि यह राशि नौ फीसदी वार्षिक ब्याज दर पर शिकायत की तिथि से भुगतान करनी होगी। आयोग के पास पहुंचे मामले के तहत शिकायतकर्ता दंपती ने यह शिकायत दुर्घटना में हुई उनके पुत्र की मृत्यु के उपरांत बीमा राशि न मिलने पर आयोग में दर्ज करवाई थी।

शिकायतकर्ताओं ने बताया था कि उनका पुत्र पटियाला की एक यूनिवर्र्सिटी का छात्र था और यूनिवर्सिटी की ओर से जारी एक ग्रुप पर्सनल एक्सिडेंट पॉलिसी के तहत बीमित था। यह पॉलिसी एक बीमा कंपनी द्वारा यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के लिए ली गई थी, जिसमें प्रत्येक छात्र के लिए 5 लाख का बीमा कवर था।

26 जनवरी 2023 की रात करीब 2:30 बजे उनका पुत्र अपने दोस्तों के साथ एक चौपहिया वाहन में सवार था। वाहन का नियंत्रण खो जाने से हादसा हुआ और उनके बेटे की मृत्यु हो गई। इसके बाद परिजनों ने सभी दस्तावेज बीमा कंपनी को दिए, लेकिन कंपनी ने दावा खारिज कर दिया। साथ ही कंपनी ने यह दावा किया कि उनका बेटा शराब के नशे में था और चलती गाड़ी में खिड़की से बाहर झांकते हुए नाच रहा था, जिससे वह पेड़ से टकराया और उसकी मृत्यु हुई। इस आधार पर कंपनी ने बीमा क्लेम भुगतान अस्वीकार कर दिया।

आयोग को मिली पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पुलिस जनरल डायरी के आधार पर पाया कि मृतक युवक

के शरीर में शराब के सेवन का कोई प्रमाण नहीं था। मृत्यु का कारण वाहन का दुर्घटनाग्रस्त होकर खाई में गिरना था। जबकि बीमा कंपनी द्वारा यह दावा करना कि पेड़ से टकराकर मृत्यु हुई है यह सही नहीं पाया गया। साथ ही चालक के नशे में होने से बीमा धारक (मृतक युवक) की पात्रता प्रभावित नहीं होती, क्योंकि वह स्वयं चालक नहीं था। इसको आधार मानते हुए आयोग ने शिकायतकर्ता उपभोक्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उपरोक्त आदेश जारी किए हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया