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कृषि विश्वविद्यालय की पहल वन हेल्थ के तहत होगी पूर्ण प्राकृतिक खेती, आयुर्वेदिक विवि, एपीएन व स्विट्जरलैंड की रहेगी साझेदारी
जोधपुर, 3 जुलाई (हि.स.)। पश्चिमी राजस्थान औषधीय पौधों का हब है। इन पौधों पर अनुसंधान की अपार संभावनाएं है लेकिन अब तक इस क्षेत्र में असंगठित रूप से काम चल रहा है। अब कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर वन हेल्थ की पहल करते हुए औषधीय पौधों पर पहली बार संयुक्त रुप से डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय व विदेशी संस्थान, एग्रो फॉरेस्ट्री प्रमोशन नेटवर्क, स्विट्जरलैंड के साथ मिलकर कार्य करेगा। इस प्रोजेक्ट पर कार्य करने के लिए स्विट्जरलैंड, इजिप्ट व युगांडा से आए हुए विदेशी प्रतिनिधियों ने दोनों विश्वविद्यालयों में पांच दिवसीय दौरा किया है, साथ ही प्रोजेक्ट से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर बैठक के दौरान चर्चा की।
कृषि विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. अरुण कुमार ने बैठक की अध्यक्षता के दौरान बताया कि प्रोजेक्ट के तहत औषधीय पौधों को लेते हुए वन हेल्थ पर फोकस किया जाएगा। वन हेल्थ कृषि विश्वविद्यालय की पहल है, वन हैल्थ संकल्पना, मिट्टी, पशु एवं मानव के सम्मिलित स्वास्थ्य से जुड़ी है। इस के लिए तीनों संस्थाएं आपसी वित्तीय सहयोग से मिलकर काम करेगी। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत हानिकारक रासायनिक उर्वरक के बढ़ते दुष्प्रभाव को देखते हुए औषधीय पौधों की पूरी तरह प्राकृतिक तरीके से पैदावार की जायेगी। तीनों संस्थानों का उद्देश्य औषधीय पौधों की गुणवत्ता सुधार सहित किसानों की आय वृद्धि भी है।
वैश्विक स्वास्थ्य को मिलेगा बढ़ावा
बैठक में मौजूद आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. (वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति ने कहा यह संयुक्त शोध परियोजना वैश्विक स्वास्थ्य और एवं पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा की दिशा में अत्यंत लाभकारी साबित होगा। उन्होंने कहा कि केमिकल रहित औषधीय पौधें स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है, मुनाफे के लिए प्राकृतिक गुणवत्ता से समझौता नहीं करना चाहिए।
बैठक में कुल सचिव निशु कुमार अग्निहोत्री ने कृषि विश्वविद्यालय के आर्गेनिक उत्पादों के ट्रेडमार्क मरुधरा का उदाहरण देते हुए कहा तेजी से बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्याओं का पूर्ण समाधान पुन: प्राकृतिक खेती की ओर लौटना है। उन्होंने कहा यह संयुक्त शोध न केवल दोनों विश्वविद्यालय बल्कि क्षेत्रीय किसानों के लिए भी फायदेमंद रहेगा।
लगाए जाएंगे क्लिनिकल ट्रायल
प्रोजेक्ट के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप पगारिया ने बताया कि इस संयुक्त शोध परियोजना में अश्वगंधा, शंखपुष्पी, शनाय, गोखरू, सतावर, ग्वार पाठा लेमनग्रास सहित अन्य विभिन्न औषधिय घासों पर काम किया जाएगा। पहले वर्ष इन पौधों की कृषि विश्वविद्यालय व आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में प्रदर्शन इकाई लगाई जाएगी। दूसरे वर्ष इनका गुणन कर क्लिनिकल ट्रायल किए जाएंगे। ट्रायल के बाद उनकी औषधिय गुणवत्ता के आधार पर कमर्शियल उपयोग किया जाएगा। यह पूरी तरह प्राकृतिक रूप से किया जाएगा। प्राकृतिक उत्पादों की बाजार में बढ़ती मांग को देखते हुए किसानों की आयवृद्धि में भी ये लाभकारी रहेगा। बैठक के दौरान वित्त नियंत्रक अंजली यादव, परियोजना की प्रधान अन्वेषक डॉ कृष्णा सहारन, डॉ. जेआर वर्मा, प्रो. एसके मूंड , आयुर्वेद विश्वविद्यालय से प्राचार्य प्रोफेसर डॉ चंदन सिंह सहित अन्य अधिकारी व निर्देशक गण मौजूद रहे। इसके साथ ही विदेशी प्रतिनिधियों में रोलैंड फ्रूटीग, लकी मुकासा, मिस अंगेला हॉफमैन, डॉ. साबेर हेंदावी, नाहला मोहम्मद, रेहाब इब्राहिम एवं परियोजना समन्वयक कुमार नीरज मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश