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मुरैना, 3 जुलाई (हि.स.)। अत्यधिक वर्षा के कारण खरीफ फसल पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। बोवनी करने वाले किसानों को हजारों रुपए का नुकसान हुआ है। वहीं जिन किसानों द्वारा बोवनी नहीं की गई थी अब उनके खेतों में रवी फसल की बोवनी होने की संभावना जताई जा रही है। कृषि विशेषज्ञ व मौसम विभाग लगातार वर्षा की संभावना बता रहा है। जिला में खरीफ फसल के दौरान लगभग 2 लाख 70 हजार हैक्टर कृषि भूमि में बोवनी का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसमें से किसानों द्वारा लगभग 25 प्रतिशत कृषि भूमि पर खरीफ फसल की बोवनी कर दी गई थी। किसान द्वारा माह जून के मध्य पश्चात बारिश होने के बाद मौसम खुलने पर बोवनी शुरू कर दी जाती है।
किसान खरीफ फसल की बोवनी को लेकर अपना निर्धारित कार्यक्रम बना लेता है, लेकिन इस बार 21 जून से हो रही लगातार वर्षा के कारण किसानों ने लगभग 75 प्रतिशत कृषि भूमि पर बोवनी कर ही नहीं पाए हैं। वहीं जिन किसानों ने बोवनी कर भी दी थी उनके खेत पानी से लबालब भरे हुए। इन किसानों को जुताई, खाद, बीज सहित मेहनत का मिलकर हजारों रुपए का नुकसान हो चुका है। किसानों को अब खरीफ फसल में पुन: बोवनी की संभावना दिखाई नहीं दे रही है क्योंकि खेतों में बोवनी के लायक स्थिति बनने पर समय निकल चुका होगा। इन परिस्थितियों में जिले के अधिकांश किसानों को खरीफ फसल का लाभ नहीं मिल पाएगा । बोवनी करने वाले किसान आर्थिक संकट से जूझते रहेंगे। हालांकि ऊंचे स्थान पर जिन किसानों की कृषि भूमि है वह वर्षा रुकने के बाद बोवनी कर सकते हैं। जुलाई माह के अंत तक ही यह आंकड़ा सामने आ पाएगा कि जिले के कितने किसान कितनी कृषि भूमि में बोवनी कर पाने में सफल हुए हैं। वर्तमान परिस्थितियों के चलते किसान अब रवी फसल को ही अपना सहारा बता रहा है।
जिले में एक दिन में एक ही बार में 185 मिली मीटर वर्षा
बीते 15 दिवस से लगातार हो रही वर्षा के कारण बोवनी की परिस्थितियों अधिकांश क्षेत्रों में नहीं बन पाई । जिन क्षेत्रों में बोवनी की स्थिति बन गई थी। वहां किसानों ने तत्काल बोवनी कर भी दी , लेकिन जिले में एक दिन में एक ही बार में 185 मिली मीटर वर्षा होने के कारण खेत वर्षा जल से लबालब भरे हुए हैं। प्रतिदिन 10 से 20 मिनट की हो रही वर्षा के कारण खेतों का पानी निकल नहीं पा रहा है जिससे बोवनी की स्थिति नहीं बन पा रही है।
आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र के कृषि विशेषज्ञ एवं मौसम विभाग के तकनीकी विशेषज्ञ लगातार वर्षा की संभावना जता रहे हैं ।
मुरैना आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र के तकनीकी मौसम विशेषज्ञ, डॉक्टर हरविंदर सिंह, ने बताया कि मौसम पूर्वानुमान के अनुसार अभी बर्षा लगातार जारी रहेगी। अभी यह सिस्टम बना रहेगा। किसानों से मेरा अनुरोध है कि अभी बुबाई को स्थगित करें। खेतों की मेड़ों का मरम्मत कार्य करें। झारंखड के उपर सिस्टम बना हुआ है। मानसून का यह सिस्टम अभी मध्यप्रदेश की तरफ आएगा। इसलिए 10 दिन तक बरसात रूकने की कोई संभावना नहीं है। मुरैना के किसानों के लिए ज्यादा बारिश नुकसानदायक साबित हो रही है।
मुरैना आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र के एसोसिएट डायरेक्टर संदीप सिंह तोमर का कहना है कि इस वर्ष खरीफ की फसल का बुबाई का समय आया तो मानसून आ गया और बारिश शुरू हो गई। कुछ किसानों ने खेतों मे बाजरे की बुबाई कर दी थी। लेकिन 30 की शाम को जो 185 एमएम बारिश हुई उससे खेत पानी से लबालब भर गए। इससे बीज खराब हो गया है। इससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है। इसके साथ ही जयादा पानी भरने से दलहनी फसलें खराब हुई है।हि.स./उपेंद्र गौतम
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हिन्दुस्थान समाचार / राजू विश्वकर्मा