मृत कर्मचारी के उत्तराधिकारी को बर्खास्तगी आदेश पर सवाल उठाने का अधिकार
इलाहाबाद हाईकाेर्ट


--कहा, कर्मचारी की मृत्यु पर विभागीय अपील स्वतः समाप्त नहीं होती

प्रयागराज, 29 जुलाई (हि.स.)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक आदेश में कहा है कि मृत कर्मचारी के उत्तराधिकारी को बर्खास्तगी आदेश पर सवाल उठाने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि कर्मचारी की मृत्यु पर विभागीय अपील स्वतः समाप्त नहीं होती, क्योंकि सेवानिवृति के बाद मिलने वाले लाभों से वंचित करने का परिणाम उत्तराधिकारियों पर पड़ता है।

न्यायमूर्ति अजित कुमार ने कहा कि कोई कर्मचारी किसी ऐसे प्रतिष्ठान में कार्यरत है, जो पेंशन योग्य है और जहां पारिवारिक पेंशन के अधिकार आश्रितों के पास निहित हैं या अन्यथा, जहां देय राशि कर्मचारी के आश्रितों को उत्तराधिकार में प्राप्त होती है तो ऐसा वाद का कारण तब तक बना रहेगा, जब तक अंतिम उपलब्ध वैधानिक उपाय समाप्त न हो जाए। उत्तराधिकारी अनुशासनात्मक प्राधिकारी के आदेश पर सवाल उठाने का हकदार है क्योंकि इसके गंभीर प्रतिकूल नागरिक परिणाम हो सकते हैं और उत्तराधिकारी अनुकम्पा नियुक्ति के अधिकार सहित सेवानिवृत्ति के बाद की देय राशि से वंचित किया जा सकता है।

मामले के तथ्यों के अनुसार याची मुन्नी देवी ने याचिका दाखिल कर वाराणसी कमिश्नर के गत आठ जनवरी के आदेश को चुनौती दी। इस आदेश से उसके पति की विभागीय अपील इस आधार पर खारिज कर दी गई कि उसके पति की मृत्यु हो चुकी है। याची की ओर से कहा गया कि सेवा न्यायशास्त्र के मामले में कोई उपशमन कानून लागू नहीं होता। उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियम 1999 के नियम 11 का हवाला देते हुए तर्क दिया गया कि इसमें उपशमन का कोई प्रावधान नहीं है। कोर्ट ने पाया कि दोषी कर्मचारी के अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष उपस्थित होने का कोई नियम नहीं है। कोर्ट ने माना कि कर्मचारी-नियोक्ता संबंध अनुबंध की समाप्ति के साथ समाप्त हो जाता है लेकिन यह भी माना कि किसी प्रतिस्थापन की आवश्यकता नहीं है क्योंकि सेवा कानून में कानूनी उत्तराधिकारी स्वतः ही कर्मचारी का बकाया प्राप्त करने में सफल हो जाते हैं।

कोर्ट ने कहा कि अपीलीय प्राधिकारी द्वारा दीवानी कानून के सिद्धांतों का पालन करते हुए अपील खारिज करना उचित नहीं था क्योंकि किसी पक्ष की मृत्यु के बाद कार्रवाई योग्य दावा तब समाप्त हो जाता है, जब उत्तराधिकारी उसी पर आगे न बढ़ें। कोर्ट ने मंडलायुक्त वाराणसी के आदेश को निरस्त कर दिया। साथ ही मृत कर्मचारी की विभागीय अपील इस निर्देश के साथ अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष पुनःस्थापित करते हुए कहा कि आदेश की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करने की तिथि से अधिकतम दो माह की अवधि के भीतर उसका गुण-दोष के आधार पर निस्तारण किया जाए।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे