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नई दिल्ली, 29 जुलाई (हि.स.)। उच्चतम न्यायालय ने 2002 के नीतीश कटारा हत्या मामले के दोषी सुखदेव पहलवान उर्फ पहलवान को रिहा करने का आदेश दिया है। जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सुखदेव पहलवान ने अपनी सजा के बीस साल मार्च में ही पूरे कर लिए थे।
अदालत ने सेंटेंस रिव्यू बोर्ड के उस फैसले पर आश्चर्य जताया, जिसने सुखदेव पहलवान की रिहा करने की याचिका को खारिज कर दिया था।उच्चतमन्यायालय ने कहा कि सेंटेंस रिव्यू बोर्ड कोर्ट के आदेश पर बैठा कैसे रह सकता है। अगर ऐसा रवैया होगा तब तो हर दोषी जेल में ही मरेगा। क्या ये कार्यपालिका का व्यवहार है। अदालत ने कहा कि सुखदेव पहलवान को 20 साल की सजा पूरी होने के बाद रिहा कर देना चाहिए था।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश एएसजी अर्चना पाठक दवे ने कहा कि 20 साल की सजा पूरी होने के बाद अपने आप दोषी को रिहा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उम्रकैद का मतलब प्राकृतिक जीवन जीने तक जेल। सुखदेव पहलवान की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ मृदुल ने कहा कि याचिकाकर्ता ने 9 मार्च को ही 20 साल की सजा पूरी कर ली थी। उन्होंने कहा कि 9 मार्च के बाद सुखदेव पहलवान को कैद रखने का कोई कानूनी आधार नहीं है।
अदालत ने 25 जून को सुखदेव पहलवान को तीन महीने का फरलो देते हुए कहा था कि सुखदेव ने बिना किसी छूट के 20 साल तक लगातार जेल की सजा काटी है। 3 अक्टूबर, 2016 को उच्चतमन्यायालय ने विकास यादव और विशाल यादव की सजा घटाकर 25 साल कर दी थी, जबकि सुखदेव पहलवान की सजा घटाकर 20 साल कर दी थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने विकास यादव और विशाल यादव को 25 साल और 5 साल की दो सजा यानि 30 साल कैद की सजा दी थी, जबकि सुखदेव पहलवान को बीस और पांच साल यानि 25 साल की कैद की सजा दी थी ।
विशाल यादव यूपी के बाहुबली नेता डीपी यादव का भतीजा है। विशाल यादव और विकास यादव चचेरे भाई हैं। दोनों नीतीश कटारा की हत्या के दोषी हैं। 17 फरवरी 2002 को नीतीश कटारा की हत्या कर दी गई थी। नीतीश कटारा का विकास यादव की बहन भारती यादव के साथ प्रेम संबंध था। यह प्रेम संबंध यादव परिवार को मंजूर नहीं था।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
हिन्दुस्थान समाचार / सुनीत निगम