बालिका स्कूल का विलय करने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
कोर्ट


जयपुर, 29 जुलाई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने ब्यावर की राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, देलवाडा का विलय स्थानीय स्कूल में करने पर मुख्य सचिव, प्रमुख शिक्षा सचिव, माध्यमिक और प्राथमिक शिक्षा निदेशक सहित ब्यावर कलेक्टर से जवाब तलब किया है। जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश चाहत परिहार व अन्य छात्राओं की ओर से अपने परिजनों के जरिए याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, देलवाडा की छात्राएं हैं। राज्य सरकार ने गत 16 जनवरी को आदेश जारी कर इस स्कूल को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, देलवाडा में विलय कर दिया। बालिका स्कूल की प्रिंसिपल ने विभाग को इसका विलय निरस्त करने के लिए पत्र भी लिखा, लेकिन विभाग ने विलय निरस्त नहीं किया। याचिका में कहा गया कि यह स्कूल 1973 में प्राथमिक विद्यालय के तौर पर स्थापित हुआ था। वहीं बाद में इसे समय-समय पर क्रमोन्नत किया गया। वर्तमान में आसपास के पांच गांव की करीब तीन सौ छात्राएं यहां अध्ययन करती है। इसके अलावा यहां अलग से अन्य कोई बालिका विद्यालय भी नहीं है। विभाग की ओर से बालिका स्कूल के लिए 4.15 करोड़ की लागत से भवन भी बनाया जा रहा है। याचिका में कहा गया कि केवल उन्हीं स्कूलों का विलय हो सकता है, जिनका नामांकन शून्य या काफी कम है। ऐसे में याचिकाकर्ताओं की स्कूल का विलय उचित नहीं है। स्कूल का विलय होने से छात्राओं को लडकों के साथ पढने के लिए बाध्य होना पड रहा है और कई छात्राओं ने स्कूल छोडने का मन भी बना लिया है। ऐसे में स्कूल का विलय करने के आदेश को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक