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नई दिल्ली, 29 जुलाई (हि.स.)। दिल्ली उच्च न्यायालय की जस्टिस शलिंदर कौर की बेंच ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की याचिका खारिज करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने की कोई वजह नहीं है। कोर्ट ने 15 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। साकेत कोर्ट के सेशंस कोर्ट ने 2 अप्रैल को मेधा पाटकर की सजा को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी। सेशंस जज के आदेश को मेधा पाटकर ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। साकेत कोर्ट के जुडिशियल मजिस्ट्रेट ने 01 जुलाई 2024 को मेधा पाटकर को सजा सुनाई थी। जुडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में अधिकतम सजा दो साल की होती है, लेकिन मेधा पाटकर के स्वास्थ्य को देखते हुए पांच महीने की सजा दी जाती है। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मेधा पाटकर को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत दोषी करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि ये साफ हो गया है कि मेधा पाटकर ने सिर्फ प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए वीके सक्सेना के खिलाफ गलत जानकारी के साथ आरोप लगाए।मेधा पाटकर ने 25 नवंबर, 2000 को अंग्रेजी में एक बयान जारी कर वीके सक्सेना पर हवाला के जरिये लेनदेन का आरोप लगाया था और उन्हें कायर कहा था। मेधा पाटकर ने कहा था कि वीके सक्सेना गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहे थे। ऐसा बयान वीके सक्सेना की ईमानदारी पर सीधा-सीधा हमला था।मेधा पाटकर ने कोर्ट में दर्ज अपने बचाव में कहा था कि वीके सक्सेना वर्ष 2000 से झूठे और मानहानि वाले बयान जारी करते रहे हैं। पाटकर ने कहा था कि वीके सक्सेना ने 2002 में उन पर शारीरिक हमला भी किया था, जिसके बाद मेधा ने अहमदाबाद में एफआईआर दर्ज कराई थी। मेधा ने कोर्ट में कहा था कि वीके सक्सेना कारपोरेट हितों के लिए काम कर रहे थे और वे सरदार सरोवर प्रोजेक्ट का विरोध करने वालों की मांग के खिलाफ थे। पाटकर के खिलाफ सक्सेना ने आपराधिक मानहानि का केस अहमदाबाद की कोर्ट में 2001 में दायर की थी। गुजरात के ट्रायल कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया था। बाद में 2003 में उच्चतम न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई गुजरात से दिल्ली के साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था। मेधा पाटकर ने 2011 में अपने को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही। वीके सक्सेना ने जब अहमदाबाद में केस दायर किया था उस समय वो नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष थे।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय -----------
हिन्दुस्थान समाचार / सुनीत निगम